सामाजिक

टीम गठन और मानव शरीर

करोड़ों वर्षों के अनवरत जैव विकास के साथ मानव इस रूप को प्राप्त हुआ। यह भी कहना गलत नहीं होगा कि समस्त जैव जातियों- प्रजातियों में मानव सबसे बुद्धिमान प्राणी है, लिहाजा मस्तिष्क का प्रयोग भी सर्वाधिक करना स्वाभाविक है। स्वयं की शारिरिक संरचना जनित सुगम कार्य पद्धति से प्रभावित होकर मनुष्य आपसी मेल – जोल को सदैव महत्व देता रहा है और इसी से परिवार, समाज, समुदाय, जनपद, राज्य, भीड़, झुंड तथा टीम आदि व्युत्पन्न किये गये।
आज के उपभोक्तावादी प्रतिस्पर्धी समाज में औसत जीवन जीने के लिए “टीम” से जुड़ना सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। टीम की परिकल्पना का आधार मनुष्य द्वारा स्वयं के शरीर को समझना ही रहा। मनुष्य ने महसूस किया कि मानव शरीर में सिर से पाँव तक विविध अंग हैं जो विविध कार्य करते हैं जो समग्र रूप से मस्तिष्क द्वारा निर्धारित उद्देश्य की दिशा में ही होते हैं। यह मस्तिष्क ही शरीर रूपी टीम का लीडर होता है और समस्त प्रमुख अंग इस टीम के मेम्बर।
कभी कभी देखा गया है कि मस्तिष्क जब अस्वस्थ होता है तो उसके द्वारा गलत या अनुचित निर्देश जारी किये जाते हैं। इसके कारण से हाथ या पैर उस निर्देश को मानकर कार्य को अंजाम देते हैं। परिणाम स्वरूप अंग भंग होने की सम्भावनाएँ बढ़ जाती हैं या दंड भोगना पड़ता है। फिर तो शरीर में असंतोष फैलने लगता है। ठीक इसी प्रकार टीम लीडर के गलत निर्णय या निर्देश के कारण टीम में बिखराव हो जाता है। इसके विपरीत अंगों के गलत कार्य का दुष्प्रभाव भी मस्तिष्क पर पड़ता है। उदाहरणार्थ उदर ने अधिक ऊर्जा का संचय कर लिया तो तमाम बीमारियाँ शुरु हो जाती हैं और दूसरे अंग कमजोर होने लगते हैं। टीम में भी सदस्यों के असंगठित होने का परिणाम टीम लीडर के साथ ही पूरी टीम पर पड़ता है।
जैसे एक मनुष्य अपने शरीर के समस्त अंगों के प्रति सजग रहकर उनको संगठित रखता है, देखभाल करता है और उचित तरीके से उत्तरदायित्व बाँटता है। एक टीम को भी वैसे ही चाहिए कि मानव शरीर से प्रेरणा लेकर स्वयं को संगठित रखकर निर्धारित उद्देश्य को प्राप्त करे।
— डॉ अवधेश कुमार अवध 

*डॉ. अवधेश कुमार अवध

नाम- डॉ अवधेश कुमार ‘अवध’ पिता- स्व0 शिव कुमार सिंह जन्मतिथि- 15/01/1974 पता- ग्राम व पोस्ट : मैढ़ी जिला- चन्दौली (उ. प्र.) सम्पर्क नं. 919862744237 Awadhesh.gvil@gmail.com शिक्षा- स्नातकोत्तर: हिन्दी, अर्थशास्त्र बी. टेक. सिविल इंजीनियरिंग, बी. एड. डिप्लोमा: पत्रकारिता, इलेक्ट्रीकल इंजीनियरिंग व्यवसाय- इंजीनियरिंग (मेघालय) प्रभारी- नारासणी साहित्य अकादमी, मेघालय सदस्य-पूर्वोत्तर हिन्दी साहित्य अकादमी प्रकाशन विवरण- विविध पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशन नियमित काव्य स्तम्भ- मासिक पत्र ‘निष्ठा’ अभिरुचि- साहित्य पाठ व सृजन