इतिहासलेख

अपना सलीब, अपना कंधा

गंगा की पवित्रता और आवे ज़मज़म का तक़द्दुस लिए हमारी संस्कृति हिंदी-उर्दू की साधिकारता के साथ भारत को महान बनाए हुए है ।

पेशे से शिक्षक, परंतु स्वभाव से कवि आदित्य की कविता ‘बेचारगी’ पर मेरी  टिप्पणी– “कविता ‘बेचारगी’ मार्मिक और उदास करनेवाली है। काफी दिनों के बाद बच्चन जी के ‘मधुकलश’ याद हो आई । ..किन्तु ये बेचारगी क्यों ? कवि सबकुछ खोकर भी ‘बेचारा’ नहीं हो सकता !”
जवाब मिठास तो नहीं था, किन्तु दिल को छू गया– “प्रिय बंधु ! आपने मेरी कविता पढ़कर अपनी प्रतिक्रिया दी, इसके लिए कोटिशः धन्यवाद । ज़िन्दगी के सभी रंग साहित्य में विभिन्न प्रकार के रसों के रूप में प्रतिबिंबित होते हैं । इन रंगों में कभी उत्साह व उन्माद की झलक मिलती है, तो कभी निराशा व अवसाद की । बच्चन जी की रचनाओं में 1936-41 के दौर में कई जगह ऐसे करूण भाव सहज ही देखे जा सकते हैं–
(‘मधुकलश’ भी इसी कालखंड का संग्रह है)

‘ऐसा चिर पतझड़ आएगा, कोयल न कुहुक फिर पाएगी;
बुलबुल न अँधेरे में गा गा, जीवन की ज्योति जगाएगी ।’ (‘मधुबाला’ से)

मैं मूलतः संघर्षशील प्रवृति का हूँ । मैं कोई कवि नहीं हूँ और नियमित रूप से कविताएँ लिखता भी नहीं । भावों की तीव्रता की स्थिति में ये स्वतः जन्म लेती है और इनके माध्यम से पीड़ा से एक हदतक मुक्ति मिल जाती है । शेष शुभ है । आरटीआई से जुड़ा आपके कार्य बहुत सराहनीय रहा है । परोपकार से बड़ा कुछ भी नहीं ।

डॉ. सदानंद पॉल

एम.ए. (त्रय), नेट उत्तीर्ण (यूजीसी), जे.आर.एफ. (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार), विद्यावाचस्पति (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर), अमेरिकन मैथमेटिकल सोसाइटी के प्रशंसित पत्र प्राप्तकर्त्ता. गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स होल्डर, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, RHR-UK, तेलुगु बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, बिहार बुक ऑफ रिकॉर्ड्स इत्यादि में वर्ल्ड/नेशनल 300+ रिकॉर्ड्स दर्ज. राष्ट्रपति के प्रसंगश: 'नेशनल अवार्ड' प्राप्तकर्त्ता. पुस्तक- गणित डायरी, पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद, लव इन डार्विन सहित 12,000+ रचनाएँ और संपादक के नाम पत्र प्रकाशित. गणित पहेली- सदानंदकु सुडोकु, अटकू, KP10, अभाज्य संख्याओं के सटीक सूत्र इत्यादि के अन्वेषक, भारत के सबसे युवा समाचार पत्र संपादक. 500+ सरकारी स्तर की परीक्षाओं में अर्हताधारक, पद्म अवार्ड के लिए सर्वाधिक बार नामांकित. कई जनजागरूकता मुहिम में भागीदारी.