भाषा-साहित्यलेखसंस्मरण

साहित्य के डॉन ‘राजेन्द्र यादव’ के साथ

मैं दिल्ली रहा हूँ और कई-कई बार दिल्ली गया भी हूँ । जब भी राजेन्द्र यादव के जीवित रहते गया, उनसे गप्पें हाँक कर ही, सौग़ात पाकर ही और उनके दरोगाओं, वकीलाओं, प्रोफेसराओं से चाय, (मैं तो !) नाश्ता कर ही लौटा हूँ…. उनसे लिए अनौपचारिक साक्षात्कार से कई पुस्तकें लिखी जा सकती हैं…. 1995 में दिल्ली से वापसी का ट्रेन भोर में था और मैं अपने दोस्त राजेश यादव के साथ साहित्य के हॉरर, डॉन, सायक्लोन इस आदमी – स्क्वायर से मिलने शाम में ही दरियागंज, अक्षर प्रकाशन पहुँच गया था….. शायद वीणा दीदी आदि तब वहीं थी, बाद में डेरा चली गयी थी और हमदोनों मित्र से चाय-नाश्ते के साथ बिहारी भदेश, हुल्लड़पन, मन्नू दी, पॉलिटिक्स पर भोर तक चर्चा-कुचर्चा होती रही कि जबतक मैं ट्रेन पकड़ने नहीं चला गया…. ।

वैसे ‘हंस’ में कई दर्ज़न समीक्षात्मक पत्र प्रकाशित हुई हैं, किन्तु बड़े आलेख भी दो बार छपा है, हरबार राजेन्द्र’दा के टिप्पणीयुक्त ख़त जरूर प्राप्त होते और व्याकरणिक ज्ञान दे जाते, फिर हरबार कामता प्रसाद गुरुआई – व्याकरण से मुझे पीड़ा ही प्राप्त होती, सीखता वही – नील बटा सन्नाटा ! उन्होंने सबको छापा, उनके जैसा संपादक ज्ञानरंजन, प्रभाष जोशी, विद्यानिवास मिश्र, आलोक मेहता, हरिनारायण इत्यादि भी नहीं ! वे नामवर को चिरकुट कहते थे और घसियारा विद्वान ! हाँ, वरवर राव, गुणाकर मुळे आदि से अभिष्टता रखते थे ।

‘हंस’ में प्रकाशित मेरा एक शोध-आलेख ‘आज के ब्राह्मण – क्षत्रिय, पहले चमार और डोम थे !’ से प्रकाशक के रूप में उन्हें काफी आर्थिक क्षति हुई थी और कहा जाता है, लखनऊ यूनिवर्सिटी में उस अंक लिए हंस-वाहन में ही आग लगा दिया गया था, बाद में उस आलेख का साभार कर पुनर्प्रकाशन लखनऊ स्थित मासिक ‘अंबेडकर इन इंडिया’ ने किया था ……. आज यादव जी हमारे बीच नहीं है, किन्तु सारा आकाश, अनदेखे अनजाने पुल आदि सहित नई कहानियाँ जीवित न भी रहें, परन्तु ‘हंस’ के बेबाक और बिंदास संपादकीय के लिए ऐसे जीवट प्राणी हमेशा ही हमारे जैसे पाठकों के बीच अमर और जीवंत रहेंगे और हर इमेज़िन – मिलन पर संवेदना और स्फूर्ति का काढ़ा देते रहेंगे !

डॉ. सदानंद पॉल

एम.ए. (त्रय), नेट उत्तीर्ण (यूजीसी), जे.आर.एफ. (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार), विद्यावाचस्पति (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर), अमेरिकन मैथमेटिकल सोसाइटी के प्रशंसित पत्र प्राप्तकर्त्ता. गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स होल्डर, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, RHR-UK, तेलुगु बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, बिहार बुक ऑफ रिकॉर्ड्स इत्यादि में वर्ल्ड/नेशनल 300+ रिकॉर्ड्स दर्ज. राष्ट्रपति के प्रसंगश: 'नेशनल अवार्ड' प्राप्तकर्त्ता. पुस्तक- गणित डायरी, पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद, लव इन डार्विन सहित 12,000+ रचनाएँ और संपादक के नाम पत्र प्रकाशित. गणित पहेली- सदानंदकु सुडोकु, अटकू, KP10, अभाज्य संख्याओं के सटीक सूत्र इत्यादि के अन्वेषक, भारत के सबसे युवा समाचार पत्र संपादक. 500+ सरकारी स्तर की परीक्षाओं में अर्हताधारक, पद्म अवार्ड के लिए सर्वाधिक बार नामांकित. कई जनजागरूकता मुहिम में भागीदारी.