भाषा-साहित्यलेख

रिसर्चवाली एक सिनॉप्सिस

शोध का विषय :-

“छात्रों के समस्यार्थ पत्र नियमितरूपेण अखबारों में ‘संपादक के नाम’ प्रकाशित होने पर तथा शिक्षा विभाग और लापरवाह शैक्षणिक संस्थानों के विरुद्ध ‘आरटीआई’ से छात्रों को शीघ्र सूचना-प्राप्ति पर देश के विद्यालयों से विश्वविद्यालय तक की शिक्षा में सुधार संभव”

प्रस्तावित शोध की रूपरेखा :-

प्रथम अध्याय

1. सोद्देश्य प्रस्तावना,
2. विषय-प्रवेश,
3. विषय से संबंधित कार्यों की समीक्षा,
4. प्रस्तुत शोध का औचित्य,
5. प्रतिपादन-प्रणाली,
6. आभार ज्ञापन ।

द्वितीय अध्याय

प्रारंभिक शिक्षा पर आरंभिक गहन सैद्धांतिक-विवेचन

[आर्थिक विपन्नता, मध्याह्न भोजन नहीं मिलने, विद्यालय में इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं होने व कंप्यूटर अथवा पुस्तकें इत्यादि नहीं होने मात्र से ही छात्र विद्यालय नहीं आते हैं । आज प्राय: छात्रों में पढ़ाई के प्रति ईमानदारिता बढ़ी है, उनके अभिभावकजन भी अपनी संतानों की पढ़ाई के प्रति समर्पित दिख रहे हैं। विद्यालय में आरक्षित वर्ग के छात्र भी अब कतई कमजोर नहीं है।]

तृतीय अध्याय

गुणवत्तापूर्ण शिक्षा में शिक्षकों के गुण और संख्या दोनों आवश्यक

[विद्यालय में 20 : 1 (छात्र : शिक्षक) समीकरण नहीं रहने व सभी विषयों के शिक्षक नहीं रहने से शिक्षक-संसाधन सहित शिक्षादान नहीं, अपितु श्रमिकतुल्य कार्य बढ़ जाते हैं, जिससे पढ़ाई की गुणवत्ता भी प्रभावित होती है । वहीं, प्रिंटेड पुस्तकें नहीं रहने से छात्रों के बीच पुस्तकों के जिरॉक्स प्रतियाँ व कागजों पर लिपिबद्ध करने-कराने के लिए ‘कैटेलिस्ट’ के कार्य शिक्षकों के होने चाहिए । उदाहरणत:, अगर हिन्दी भाषा के शिक्षक हैं तो इसे भी स्थानीय भाषा-परम्परा के तहत पढ़ाता चाहिए, जिनमें ‘सामान्य ज्ञान’ की जानकारियाँ भी यथाबद्ध रहे। कुछ नॉन-सिलेबस कथाएँ छात्र को सुनाइये, जैसे- ‘लाल रेखा’, ‘चंद्रगुप्त’, ‘मैला आँचल’, ‘गोदान’, ‘चंद्रकांता’, ‘हैरी पॉटर’ इत्यादि । इनसे छात्रों में हिंदी,  भाषा और साहित्य के प्रति रुचि बढ़ती जाएगी।]

चतुर्थ अध्याय

पढ़ाई के इतर समस्याएं भी शिक्षा की ग्राह्यता में होती हैं बाधक

[मैं जिस क्षेत्र में हूँ, वहाँ प्रति वर्ष फरवरी से पेयजलापूर्ति की समस्या उभर आती है तथा छात्र-छात्रा, शिक्षक-शिक्षिका आदि के लिए अलग-अलग शौचालय व मूत्रालय की व्यवस्था नहीं होने से समस्या और भी विकट हो जाती है। अगर बात बालिका उच्च विद्यालय की हो, तो यहाँ छात्राओं के लिए कम से कम 4 शौचालय और अलग से 4 मूत्रालय होनी चाहिए, क्योंकि महिलाजन्य मूत्रांग के कारणश: शौचालय में मूत्र-विसर्जन से उनके जननांग संक्रमित हो सकते हैं । उसी तरह शिक्षक-शिक्षिकाओं के लिए भी ये दोनों की अलग-अलग व्यवस्था हो । जहाँ सह-शिक्षा है, वहाँ छात्र के लिए भी अलग-अलग । हालाँकि, विद्यालय में दोनों प्रकार के प्रसाधन कक्ष को सरकारी योजना-मद प्रतिपूरित किया जाता है, वहीं सरकारी स्तर से पेयजलापूर्ति की समस्या दूर नहीं हो पाती, जिससे पेयजल सहित शौच व मूत्रनिवृत्ति के लिए समस्याजनित हो ही जाती है आखिर! शिक्षकबंधु आपस में चंदा ले-देकर ‘गैलन’ वाले पेयजलापूर्त्ति की व्यवस्था कर इससे निजात पाने का प्रयास करते हैं, किंतु यह ऊँट के मुँह में जीरा साबित होता है।]

पंचम अध्याय

शैक्षिक-संस्थान स्थित समाज, विद्यालयकर्मियों और शिक्षाधिकारी तथा शिक्षा विभाग के मध्य असहयोग : आरटीआई आवेदनों से सहयोग सम्भव

[स्वयं का उदाहरण :- अध्यापन के शुरुआती दौर में लाउडस्पीकर से प्रचार-प्रसार करने पर एतदर्थ छात्रों की भीड़ विद्यालय में होने के कारण व्यापक रूप से कोचिंग क्लासेस प्रभावित हुई, तब कोचिंग संचालकों से मुझे जान से हाथ धो लेने की धमकी भी मिली, जिनकी शिकायत मैंने तत्काल सक्षम प्राधिकार से किया, किंतु सहयोग नहीं मिला । विद्यालय में छात्रों की आवाजाही कम हो गयी, क्योंकि विद्यालय-अवधि में ही कोचिंग संचालित हो रहे थे और छात्र उस समय वहाँ होते थे, तब मैंने ‘सूचना का अधिकार अधिनियम- 2005 (RTI act. 2005)’ के अन्तर्गत जिला शिक्षा कार्यालय सहित राज्य और केंद्रीय मानव संसाधन विकास विभाग व शिक्षा विभाग को एतदर्थ ‘सूचनावेदन’ भेजा, जिनका कार्यान्वयन हुआ अर्थात मेरे ही सूचनावेदन पर बिहार में ‘कोचिंग एक्ट’ लागू हुआ । अब विद्यालय-अवधि में कोई भी कोचिंग संस्थान संचालित नहीं हो रही हैं । अगर हो भी रही होगी, तो चोरी छिपे ! वैसे इस संबंध में जानकारी मिलते ही मैं गोपनीय तरीके से एतदर्थ सूचना स्थानीय प्रशासन सहित जिला प्रशासन को दे देता हूँ । अब फिर विद्यालय में छात्रों की आवाजाही होने लगी और पठन-पाठन के तत्वश: छात्रों के बीच हरियाली छा गयी। छात्रों के द्वारा भी अगर आरटीआई एक्ट के माध्यम से नियमित आवेदन डाली जाए, तो निश्चितश: शिक्षा क्षेत्र में भ्रष्ट आचरण बंद होगी और शिक्षा में सुधार होगा! इसप्रकार ‘शिक्षा-सम्बन्धी’ समस्या के समाधानार्थ जब बात नहीं बनती है, तब RTI आवेदन का उपयोग करता हूँ, मैंने अबतक 22,000 से ऊपर RTI आवेदन भारत सरकार के प्राय: विभागों और सभी राज्यों के प्राय: मंत्रालयों / कार्यालयों को भेजा है, जिनमें सिर्फ शिक्षा-संबंधी विविध मामलों को लेकर 10,000 से ऊपर RTI आवेदन है तथा इनसे सुखद और अभीष्ट परिणाम भी मिला है।]

षष्ठम अध्याय

छात्रों द्वारा लिखित पत्रों को अखबारों में ‘संपादक के नाम पत्र’ कॉलम में प्रमुखता से प्रकाशित किया जाने पर शिक्षा में सुधार संभव

[स्वयं का उदाहरण : देशभर के सभी हिंदी समाचार पत्रों और पत्रिकाओं में शिक्षा-संबंधी और इतर समस्याओं, सुझावों को लेकर खुद मैंने  ‘संपादक के नाम पत्र’ (Letters to the Editor) भी प्रकाशनार्थ नियमितरूपेण भेजते रहा हूँ, जो 10,000 से ऊपर की संख्या में छपा भी है, इस संबंध में एक वर्ल्ड रिकॉर्ड को लेकर मेरा नाम ‘गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स’ में दर्ज़ है । पत्रों के प्रकाशन से शैक्षिक समस्याओं का जल्द ही निपटान हो जाता है तथा मेरी इन उपलब्धियों से छात्र भी उत्प्रेरण पाकर इस मोबाइल की फंतासी युग में भी लेखन-शैली सुदृढ़ कर पाते हैं। कई छात्र भी मेरे इस मुहिम में शागिर्द हैं। विद्यालय, शिक्षा विभाग और प्रशासनिक पदाधिकारी एतदर्थ भ्रष्ट आचरण से मुक्त होते जा रहे हैं।]

सप्तम अध्याय

संदर्भित पुस्तकें, पत्रिकायें और साक्षात्कार।

[नोट : उपर्युक्त शोध में विस्तार इसी आधार पर बढ़ेगी और अन्वेषित होगी तथा नवीन विस्तार भी नई खोज के साथ संभव है।]

डॉ. सदानंद पॉल

एम.ए. (त्रय), नेट उत्तीर्ण (यूजीसी), जे.आर.एफ. (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार), विद्यावाचस्पति (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर), अमेरिकन मैथमेटिकल सोसाइटी के प्रशंसित पत्र प्राप्तकर्त्ता. गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स होल्डर, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, RHR-UK, तेलुगु बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, बिहार बुक ऑफ रिकॉर्ड्स इत्यादि में वर्ल्ड/नेशनल 300+ रिकॉर्ड्स दर्ज. राष्ट्रपति के प्रसंगश: 'नेशनल अवार्ड' प्राप्तकर्त्ता. पुस्तक- गणित डायरी, पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद, लव इन डार्विन सहित 12,000+ रचनाएँ और संपादक के नाम पत्र प्रकाशित. गणित पहेली- सदानंदकु सुडोकु, अटकू, KP10, अभाज्य संख्याओं के सटीक सूत्र इत्यादि के अन्वेषक, भारत के सबसे युवा समाचार पत्र संपादक. 500+ सरकारी स्तर की परीक्षाओं में अर्हताधारक, पद्म अवार्ड के लिए सर्वाधिक बार नामांकित. कई जनजागरूकता मुहिम में भागीदारी.