लेखसामाजिक

सफ़र

ये ज़िंदगी अगर एक सड़क है तो तुम्हारी यादें इस सड़क पर आने वाले ढेरों अवरोधक। मैंने जितनी बार भी जीवन में आगे बढ़ने की कोशिश की, तुम उतनी बार गति अवरोधक बन कर मेरे सामने आती रही।
मैंने कितनी बार ही रास्ता बदलने का प्रयत्न किया मगर हर रास्ता मुझे वहीं ले जाता है जहाँ ना जाने के लिए ही मैंने एक अलग रास्ता चुना।
लोग कहते हैं कि मुझे आगे बढ़ने के लिए पिछले सफ़र को भूलना होगा पर मुझे पता है कि इंसान भूलता वही है जिसे याद रखना वो जरूरी नही समझता।
मैं भला वो सफ़र और हमसफ़र कैसे भूल सकता हूँ जिसने मुझे यहाँ तक पहुंचाया है। कुछ सफ़र हमे मंज़िल तक नही पहुंचाते पर अगले सफ़र के लिए अनुभव जरूर दे जाते हैं।
मैं सफ़र के ऐसे मुक़ाम पर हूँ जहाँ से आगे मैं जाना ही नही चाहता। ये वो चौराहा है जहाँ से तुमने एक अलग रास्ता ले लिया है। अब मुझे भी अपने लिए एक रास्ता चुनना है पर मैं यहीं खड़ा रहना चाहता हूँ। यहाँ खड़े रहकर मुझे ये सुकून मिलता है कि मेरे पास एक रास्ता चुनने की आज़ादी है।
जीवन में किसी भी फ़ैसले को लेकर उत्सुकता और जोश तब तक रहते हैं जब तक आप फ़ैसला नही ले लेते। क्योंकि फैसले के बाद वो सही या गलत की निश्चितता में बंध जाता है। फ़िर यही गलत और सही का फ़ेर सुख और दुःख का कारण बन जाता है। सब कुछ ठहरा हुआ सा लगता है।
मैं भी यहीं ठहर गया हूँ।
अब मुझे आगे बढ़ना है,
मैं कोशिश कर रहा हूँ,
मुझे फैसला लेना है,
मैं अनुभवी हूँ,
मैं उत्सुक हूँ।
अमित ‘मौन’

अमित मिश्रा 'मौन'

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