कविता

जल ही जीवन है

जल को खूब बहाएगे ,
फिर हाहाकार मचाएंगे
न मिले जल तो शोर मचा – मचा चिल्लाएंगे ।
घर से लेकर बाहर तक बाल्टी- बाल्टी जल फैलाएंगे,
गाड़ी ,मोटर ,सायकिल, पहिया  सुबह शाम  नहलाएगे
न मिले जल तो शोर मचा – मचा कर चिल्लाएंगे ।
कहीं टूटी नल की  पाईपे
कहीं टोटियो से जल बहता,
टंकी का पानी भर- भर कर आधे आधे घंटे गिरता
जल को नहीं बचाएंगे तो ,
बहुत ही पछताएंगे
आने वाले समय में फिर हम जल को तरसते ही रह जाएंगे,
जल को नहीं बचाएंगे तो तड़प – तड़प मर जाएंगे।
कुआं ,तलाब, नदियों में कम पानी,
हम बस करते अपनी ही मनमानी
जल को खूब  ब हाऐगे तो
पानी  बिन मर जायेगे।
आने वाली पीढ़ियों को बस
जल की तस्वीरे ही दिखलायेगे,
जल को खूब  बहाएंगे
न मिले जल तो चिल्ला चिल्ला कर शोर मचाएंगे।।
 —  शालिनी यादव

शालिनी यादव

महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय की समाजकार्य की छात्रा