जल ही जीवन है
जल को खूब बहाएगे ,
फिर हाहाकार मचाएंगे
न मिले जल तो शोर मचा – मचा चिल्लाएंगे ।
घर से लेकर बाहर तक बाल्टी- बाल्टी जल फैलाएंगे,
गाड़ी ,मोटर ,सायकिल, पहिया सुबह शाम नहलाएगे
न मिले जल तो शोर मचा – मचा कर चिल्लाएंगे ।
कहीं टूटी नल की पाईपे
कहीं टोटियो से जल बहता,
टंकी का पानी भर- भर कर आधे आधे घंटे गिरता
जल को नहीं बचाएंगे तो ,
बहुत ही पछताएंगे
आने वाले समय में फिर हम जल को तरसते ही रह जाएंगे,
जल को नहीं बचाएंगे तो तड़प – तड़प मर जाएंगे।
कुआं ,तलाब, नदियों में कम पानी,
हम बस करते अपनी ही मनमानी
जल को खूब ब हाऐगे तो
पानी बिन मर जायेगे।
आने वाली पीढ़ियों को बस
जल की तस्वीरे ही दिखलायेगे,
जल को खूब बहाएंगे
न मिले जल तो चिल्ला चिल्ला कर शोर मचाएंगे।।
— शालिनी यादव