धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

विशेष सदाबहार कैलेंडर- 160

1.इंसान तब सफल होता है,
जब वह दुनिया को नहीं,
बल्कि खुद को बदलना शुरु कर देता है.

2.सोच खूबसूरत हो,
तो सब कुछ खूबसूरत नजर आता है.

3.मिठास
मुंह में घुले तो > स्वाद,
दिलों में घुले तो > प्यार,
मौसम में घुले तो > बहार,
रिश्तों में घुले तो जिंदगी > स्वर्ग बन जाती है.

4.कितना बेबस है हर इंसान किस्मत के आगे,
हर सपना टूट जाता है हकीकत के आगे,
जिसने कभी दुनिया में हाथ न फैलाया हो,
वो भी हाथ फैलाता है मुहब्बत के आगे.

5.संबंध उसी आत्मा से जुड़ता है जिनका हमसे,
पिछले जन्मों का कोई रिश्ता होता है,
वरना दुनिया की इस भीड़ में,
कौन किसको जानता है?

6.”उम्मीद “एक ऐसी “ऊर्जा” है,
जिससे “जिंदगी” का कोई भी “अँधेरा” हिस्सा,
“रोशन” किया जा सकता है.

7.तजुर्बा इंसान को गलत फैसलों से बचाता है,
मगर तजुर्बा गलत फैसले से ही आता है.

8.सुख व्यक्ति के अहंकार की परीक्षा लेता है,
जब कि दुःख व्यक्ति के धैर्य की परीक्षा लेता है.

9.खुशियों का कोई रास्ता नहीं है,
खुश रहना ही रास्ता है.

10.तल्खिया-ए-हालात भी सिखाती हैं कुछ हमें
वर्ना बे-अंदाज़ ही जीते थे रौ में ज़माने की.

11.मन और सोच का वास्तु ठीक करो,
तो घर का वास्तु अपने आप ठीक हो जाएगा.”

12.मन को छोटा मत कर, सम्मुख है आकाश
बस छूने को चाहिए, थोड़ा सा विश्वास,
हर मंजिल मिल जाएगी, ग़र लें मन में ठान
क्षमता जो हम में छिपी, उसको लें पहचान

13.जीवन के लिए जरूरी हैं आंसू भी मुस्कान भी,
एक से आंखों की मैल धुल जाती है,
दूसरे से मन में मिश्री घुल जाती है.

14.ह्रदय का प्रफुल्लन ह्रदय-कमल का विकसन है,
नम्रता सम्मान की सृजेता है.

15.पैर की मोच और छोटी सोच,
हमें आगे बढ़ने नहीं देती

16.हर नयी चीज अच्छी लगती है,
पर दोस्ती जितनी पुरानी हो उतनी ही खूबसूरत होती है.

17.कबूल करने की हिम्मत
और सुधार करने की नीयत हो तो.
भूल में से भी इंसान बहुत कुछ सीख सकता है.

18.हर कोई चन्दन नहीं,कि ‘सुगन्धित’ कर सके;
कुछ नीम के पेड़ भी हैं,
जो सुगन्धित तो नहीं करते,
पर काम बहुत आते हैं..!!

19.चरित्र एक वृक्ष है… और… प्रतिष्ठा, यश, सम्मान उसकी छाया…
लेकिन विडंबना यह है कि…
वृक्ष का ध्यान बहुत कम लोग रखते हैं…और…छाया सबको चाहिए.

20.जिन्दगी की तपिश को सहन कीजिए……!
अक्सर वे पौधे मुरझा जाते हैं, जिनकी परवरिश छाया में होती है.

21.हमेशा ऐसे व्यक्ति को संभाल के रखिय,
जिसने आपको ये तीन भेंट दी हों- साथ, समय और समर्पण.

22.जिंदगी को गमले के पौधे की तरह मत बनाओ,
जो थोड़ी-सी धूप लगने पर मुरझा जाए,
जिंदगी को जंगल के पेड़ की तरह बनाओ,
जो हर परिस्थिति में मस्ती से झूमता रहे.,

23.एक मजबूत दोस्ती को रोज-रोज,
बात करने या साथ रहने की ज़रुरत नहीं होती,
जब तक रिश्ता दिल में जिंदा रहता है,
सच्चे दोस्त कभी अलग नहीं होते.

24.नजरिया सकारात्मक होना,
सफलता के लिए अत्यावश्यक है.

25.जैसे ही मन सरल होगा, आंसू बहने शुरु हो जाएंगे.
वह बांध टूट जाएगा, जो रोका था.
जज़्बातों में बहकर खुद को किसी के अधीन मत कीजिए,
खुदा और खुद के अलावा किसी पर यकीन मत कीजिए.

26.रूह पर ‘मैं’ का दाग आ जाता है,
जब दिलों में दिमाग छा जाता है.

27.थककर बैठा हूं, हारकर नहीं,
सिर्फ बाजी हाथ से निकली है, जिंदगी नहीं.

28.रगों में ब्ल्ड ग्रुप कोई भी हो,
दिलो-दिमाग में हमेशा ‘बी पोजीटिव’ ही होना चाहिए.

29.हवाएं अगर मौसम का रुख बदल सकती हैं,
तो दुआएं भी मुसीबत के पल बदल सकती हैं.

30.दोस्त ही हैं, जो हाल पूछते हैं जनाब,
वर्ना
बच्चे वसीयत पूछते हैं,
रिश्ते हैसियत पूछते हैं.

31.बिना किताबों के जो पढ़ाई सीखी जाती है,
उसे जिंदगी कहते हैं.

प्रस्तुत है पाठकों के और हमारे प्रयास से सुसज्जित विशेष सदाबहार कैलेंडर. कृपया अगले विशेष सदाबहार कैलेंडर के लिए आप अपने अनमोल वचन भेजें. जिन भाइयों-बहिनों ने इस सदाबहार कैलेंडर के लिए अपने सदाबहार सुविचार भेजे हैं, उनका हार्दिक धन्यवाद.

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*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

One thought on “विशेष सदाबहार कैलेंडर- 160

  • लीला तिवानी

    आज का अनमोल वचन-
    लिया हवाओं से सहज, मैंने हाथ मिलाय !
    सबसे बड़ी मुंडेर पर, दीपक दिया जलाय !!

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