भाषा-साहित्य

देशप्रेम से ओतप्रोत कविताएँ

कविता ‘सर कटा सकते हैं लेकिन, सर झुका सकते नहीं’ के कवि स्व. शकील बदायूनी जी ने सर्वश्रेष्ठ लिखा है-

“हम वतन के नौजवां हैं, हमसे जो टकराएगा,
वो हमारी ठोकरों से, खाक के मिल जाएगा!
वक्त के तूफां में बह जाएंगे, ज़ुल्मों-सितम,
आसमाँ पे ये तिरंगा, उम्रभर लहराएगा!
जो सबक बापू ने सिखलाया, भूला सकते नहीं,
अपनी आज़ादी को हम, हरगिज़ मिटा सकते नहीं!
सर कटा सकते हैं लेकिन,
सर झुका सकते नहीं !”

‘इस देश को रखना, मेरे बच्चों संभाल के’ शीर्षक कविता में स्व. प्रदीप जी ने अच्छा ही लिखा है-

“अब वक्त आ गया है मेरे हँसते हुए फूलों,
उठो छलाँग मार के आकाश को छू लो,
तुम गाड़ तो गगन में तिरंगा उछाल के,
हम लाये हैं तूफां से किश्ती निकल के,
इस देश को रखना मेरे बच्चों संभाल के!”

अब यह कविता ‘वीर तुम बढ़े चलो’ में कवि स्व. द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी जी ने लिखा है-

“वीर तुम बढ़े चलो,
धीर तुम बढ़े चलो!
हाथ में ध्वजा रहे,
बाल दल सजा रहे!
ध्वज कभी झुके नहीं,
दल कभी रुके नहीं!
वीर तुम बढ़े चलो,
धीर तुम बढ़े चलो!
सामने पहाड़ हो,
सिंह की दहाड़ हो!
तुम निडर डरो नहीं,
तुम निडर डटो वहीं
वीर तुम बढ़े चलो,
धीर तुम बढ़े चलो!
प्रात हो,
कि रात हो!
संग हो,
न साथ हो!
सूर्य से बढ़े चलो,
चन्द्र से बढ़े चलो!
वीर तुम बढ़े चलो,
धीर तुम बढ़े चलो!
एक ध्वज लिये हुए,
एक प्रण किये हुए!
मातृ भूमि के लिये,
पितृ भूमि के लिये!
वीर तुम बढ़े चलो,
धीर तुम बढ़े चलो!
अन्न भूमि में भरा,
वारि भूमि में भरा!
यत्न कर निकाल लो,
रत्न भर निकाल लो!
वीर तुम बढ़े चलो,
धीर तुम बढ़े चलो!”

आगामी कविता ‘जीत का सपना है अभी भी’ में कवि स्व. धर्मवीर भारती जी ने लिखा है-

“तलवार टूटी, अश्व घायल,
कोहरे हैं सभी दिशाएँ !
कौन है दुश्मन ? कौन अपने लोग ?
सबकुछ धुँए में है गायब
किन्तु युद्ध है कायम !
क्योंकि धधकती आग में तपना है अभी भी,
जीत का सपना है अभी भी !”

कविता ‘जिस पथ जाए वीर अनेक’ में कवि स्व. माखनलाल चतुर्वेदी जी ने अच्छा लिखा है-

“चाह नहीं सुरबाला के, गहनों में गूँथा जाऊँ,
चाह नहीं प्रेमीमाला में बिंध, प्यारी को ललचाऊँ।
चाह नहीं सम्राटों के शव, हे हरि डाला जाऊँ,
चाह नहीं देवों के सर चढ़ूँ, भाग्य पर इठलाऊँ।
मुझे तोड़ लेना वनमाली, उस पथ पर देना तुम फेंक,
मातृभूमि पर शीश चढ़ाने, जिस पथ जाएँ वीर अनेक।”

डॉ. सदानंद पॉल

एम.ए. (त्रय), नेट उत्तीर्ण (यूजीसी), जे.आर.एफ. (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार), विद्यावाचस्पति (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर), अमेरिकन मैथमेटिकल सोसाइटी के प्रशंसित पत्र प्राप्तकर्त्ता. गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स होल्डर, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, RHR-UK, तेलुगु बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, बिहार बुक ऑफ रिकॉर्ड्स इत्यादि में वर्ल्ड/नेशनल 300+ रिकॉर्ड्स दर्ज. राष्ट्रपति के प्रसंगश: 'नेशनल अवार्ड' प्राप्तकर्त्ता. पुस्तक- गणित डायरी, पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद, लव इन डार्विन सहित 12,000+ रचनाएँ और संपादक के नाम पत्र प्रकाशित. गणित पहेली- सदानंदकु सुडोकु, अटकू, KP10, अभाज्य संख्याओं के सटीक सूत्र इत्यादि के अन्वेषक, भारत के सबसे युवा समाचार पत्र संपादक. 500+ सरकारी स्तर की परीक्षाओं में अर्हताधारक, पद्म अवार्ड के लिए सर्वाधिक बार नामांकित. कई जनजागरूकता मुहिम में भागीदारी.