भाषा-साहित्य

विश्वफूल और बनफूल

विदेश मंत्रालय, भारत सरकार से पुरस्कृत होनेवाली बिहार की एकमात्र कवयित्री व बिहार राष्ट्रभाषा परिषद से सम्मान प्राप्त लेखिका तथा लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड्स होल्डर सुश्री स्वर्णलता ‘विश्वफूल’ की 1,000 से अधिक कविताएँ प्रकाशित व प्रसारित हो चुकी हैं, तो कई प्रकाशनाधीन भी है। वे निर्माणाधीन हिंदी फिल्म ‘लाजो’ की कथाकार हैं । सुश्री विश्वफूल की जन्मस्थली भी वहीं है, जहाँ बांग्ला उपन्यासकार पद्मभूषण ‘बनफूल’ की है यानी बनफूल से विश्वफूल तक ! स्वर्णलता जी की रचनाएँ कई पुस्तकों में संकलित हो चुकी हैं, तो मौलिक पुस्तक ‘ये उदास चेहरे’ की वे चर्चित कवयित्री भी हैं । पुस्तकद्वय ‘पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद (शोध)’ और ‘लव इन डार्विन (नाट्य पटकथा)’ को वे पढ़ चुकी हैं और सम्प्रति उन द्वय की समीक्षा लिखने में व्यस्त हैं।

उनकी क्षणिका है-

“टैक्सी में
बैठनेवाली
‘सेक्सी’
होती हैं क्या ?
कोई बताएंगे !”

अन्य क्षणिका है-

एक जिला के
कई बाढ़ राहत शिविर में
बाढ़ पीड़ित शरणार्थियों को
खाने में ‘घी’ भी दिए जा रहे हैं….”

सुश्री विश्वफूल के प्रति स्नेहिल आभार ! हृदयाभिमत साधुवाद !

डॉ. सदानंद पॉल

एम.ए. (त्रय), नेट उत्तीर्ण (यूजीसी), जे.आर.एफ. (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार), विद्यावाचस्पति (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर), अमेरिकन मैथमेटिकल सोसाइटी के प्रशंसित पत्र प्राप्तकर्त्ता. गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स होल्डर, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, RHR-UK, तेलुगु बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, बिहार बुक ऑफ रिकॉर्ड्स इत्यादि में वर्ल्ड/नेशनल 300+ रिकॉर्ड्स दर्ज. राष्ट्रपति के प्रसंगश: 'नेशनल अवार्ड' प्राप्तकर्त्ता. पुस्तक- गणित डायरी, पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद, लव इन डार्विन सहित 12,000+ रचनाएँ और संपादक के नाम पत्र प्रकाशित. गणित पहेली- सदानंदकु सुडोकु, अटकू, KP10, अभाज्य संख्याओं के सटीक सूत्र इत्यादि के अन्वेषक, भारत के सबसे युवा समाचार पत्र संपादक. 500+ सरकारी स्तर की परीक्षाओं में अर्हताधारक, पद्म अवार्ड के लिए सर्वाधिक बार नामांकित. कई जनजागरूकता मुहिम में भागीदारी.