बाल कविता

गणपति अंतर्यामी हैं

गणपति जी का रूप निराला,
सूंड-सी नाक है गज मुख वाला,
चारभुजाधारी गणदेवा,
मूषक वाहन पेट विशाला.
सूप सरीखे कान हैं उनके,
ऋद्धि-सिद्धि के स्वामी हैं,
बल-बुद्धि-विद्या देने वाले,
गणपति अंतर्यामी हैं.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244