पुस्तक समीक्षा

पेशे से सम्मान तक

पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर, किन्तु देश के सुयोग्य फ़ोटोग्राफ़र श्री सौरभ दूबे ‘शरद’, जो मूलतः गोरखपुर निवासी हैं, परंतु अभी बंगलोर रह रहे हैं…. के हाथों पुस्तकद्वय ‘पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद (शोध)’ और ‘लव इन डार्विन (नाट्य पटकथा)’ अर्थात् दोनों पुस्तक ‘चंद्रयान-2’ की भाँति यात्रा कर दक्षिण भारत व बंगलोर व कर्नाटक भी पहुँच गयी । शरद जी ने वादा किया है कि इन दोनों पुस्तक की वे अवश्य ही समीक्षा करेंगे…. सादर आभार और भविष्यार्थ अनेकानेक धन्यवाद !
●●
सितम्बर को ‘शिक्षक दिवस’ मनाए जाने का सरकारी स्तर पर कोई प्रमाण नहीं है ! दूसरी तरफ, जिसतरह से दोनों सरकारों ने ‘नियोजित’ शिक्षकों के प्रति घृणा और वैरभाव रखा है, इसे मनाने का कोई औचित्य नहीं रह गया है । फिर तो आधुनिक भारत की प्रथम शिक्षिका “माता सावित्री बाई फुले” की सादर स्मृति में ही शिक्षक दिवस मनाए जाने चाहिए । मूलतः, शिक्षक ‘आरम्भिक ज्ञान’ देनेवाले होते हैं, जबकि हिन्दू शास्त्रों के विद्वान व राष्ट्रपति  डॉ. एस. राधाकृष्णन, जिनकी जन्मतिथि 5 सितम्बर है,  यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर थे, न कि वे गुरुकुल के शिक्षक रहे हैं!
हम थके-मांदे, जीवन से हारे, कुढ़-कुढ़कर ना चाहते हुए भी शिक्षक हुए और मूढ़मगज के मालिक सरकार जी के पास राजनीति की रोटी है, उसे वे सेंक रहे हैं, वे हम शिक्षकों को कुढ़न बना रहे हैं, लांछित कर रहे हैं l अन्य पदधारकों को जीवन जीते देख, हम भी उनके जीवन लिए तरसते हैं ! ऐसे नियोजित शिक्षक बनने से अच्छा किसी बड़े घर का कुत्ता ही बन जाता, तो बेहतर था!  सोचता हूँ,  बच्चों के साथ कबड्डी खेलूँ…. कभी तालाब में डुबकी लगाऊँ ! पर ऐसा हो नहीं पाता ! परंतु अपनी इच्छा को गोली मारो और शिक्षा के अफसरों के आदेश का पोस्टर को अपने माथे पर चिपकाओ ! इतनी अनुशासन अच्छी बात नहीं !  ऐसे में कैसे और क्यूँ मनाऊँ ‘शिक्षक दिवस’ ? लाख मनाही के बाद भी सरकारी तैयारी, उनकी चुहलबाजी तो देखो, पहले 350 से अधिक शिक्षकों को प्रतिवर्ष ‘राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार’ प्राप्त होते थे, इसबार सिर्फ 45 को मिला है! यह शिक्षकों का कैसा सम्मान है भाई ! देख रहा हूँ, कोई सरकार आये या रहे हों– शिक्षकों का प्रताड़ना जारी रहा है । बिहार में सर्वप्रथम श्री लालू प्रसाद ने शिक्षकों को प्रताड़ित किए थे, अब जो महानुभाव ऐसा कर रहे हैं, उनकी शैतानियत को सारा संसार ‘लाइव’ देख रहा है !

डॉ. सदानंद पॉल

एम.ए. (त्रय), नेट उत्तीर्ण (यूजीसी), जे.आर.एफ. (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार), विद्यावाचस्पति (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर), अमेरिकन मैथमेटिकल सोसाइटी के प्रशंसित पत्र प्राप्तकर्त्ता. गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स होल्डर, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, RHR-UK, तेलुगु बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, बिहार बुक ऑफ रिकॉर्ड्स इत्यादि में वर्ल्ड/नेशनल 300+ रिकॉर्ड्स दर्ज. राष्ट्रपति के प्रसंगश: 'नेशनल अवार्ड' प्राप्तकर्त्ता. पुस्तक- गणित डायरी, पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद, लव इन डार्विन सहित 12,000+ रचनाएँ और संपादक के नाम पत्र प्रकाशित. गणित पहेली- सदानंदकु सुडोकु, अटकू, KP10, अभाज्य संख्याओं के सटीक सूत्र इत्यादि के अन्वेषक, भारत के सबसे युवा समाचार पत्र संपादक. 500+ सरकारी स्तर की परीक्षाओं में अर्हताधारक, पद्म अवार्ड के लिए सर्वाधिक बार नामांकित. कई जनजागरूकता मुहिम में भागीदारी.