कविता

जग में क्यों आये?

हम सबको सोचना होगा
आखिर हम जग में क्यों आये?
घर,परिवार ,समाज, राष्ट्र में
अनीति, अत्याचार, दुराचार
भ्रूण हत्या, व्यभिचार
भ्रष्टाचार, आतंकवाद
सम्प्रदायवाद,धार्मिक विभेद
कट्टरवाद,आपसी रंजिश, हत्या
क्या नहीं हो रहा है?
क्या इसीलिए हम जग में आये हैं?
मानव कहलाये हैं?
अपना फर्ज निभाये हैं?
क्या इसीलिए मानव बनकर इतराये हैं?
नहीं, नहीं, नहीं,
फिर हमारे इस जग में आने का
मतलब क्या है?
शायद कुछ भी नहीं या शायद हाँ
तो फिर से सोचिए
कुछ चिंतन कीजिए
आखिर हम जग में क्यों आये?

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921