कविता

ऋतु परिवर्तन

फिजा फिर बदल गई
मौसम ने कैसी यह करवट ले ली
मौसम में शीत बढ़ गई
देखो कैसी यह बयार चल गई
मौसम को भीगा भीगा कर गई
अचानक ही कैसा यह बदला मौसम
आसमां में बादल अा
वर्षा में बदल गए
साथ अपने बर्फ के टुकड़े भी
ईधर उधर टपका गए
मौसम को सर्द कर गए
चलो उठो
खोलो बन्द बक्सों को
स्वेटर, जैकेट निकाल लो
न करो कोई आलस्य
बदन पर इनको डाल लो
यह है सर्द नहीं कोई करेगी
आपका ख्याल
आपकी ही रखना होगा ख्याल अपना
ढक लो अब तन को
गरम नरम कपड़ों से

*ब्रजेश गुप्ता

मैं भारतीय स्टेट बैंक ,आगरा के प्रशासनिक कार्यालय से प्रबंधक के रूप में 2015 में रिटायर्ड हुआ हूं वर्तमान में पुष्पांजलि गार्डेनिया, सिकंदरा में रिटायर्ड जीवन व्यतीत कर रहा है कुछ माह से मैं अपने विचारों का संकलन कर रहा हूं M- 9917474020