कहानी

बदसूरती

दुनियां वालों से अपनी बदसूरती के ताने सुनते आ रही नैना को ज़रा पहले ही मालूम हो गया होता कि उसके प्रति सहानुभूति दिखाने वाले दिनेश के मन में उसके लिए इतनी घिनोनी मानसिकता भरी हुई हैं तो वो कभी भी उसके लिए दोस्ती का हाथ न बढ़ाती और फिर सुजीत देवदूत बनकर नैना के जीवन में न आता तो शायद ….

आज कई सालो बाद नैना को बड़ी मुसकिलों से लड़के वाले देखने आए थे, नहीं तो पहले जहां भी नैना की फ़ोटो भेजते वह वहीं रह जाती और इंतज़ार इंतज़ार ही रह जाता. नैना को आश्चर्य हुआ कि आखिर सुजीत जैसा हैंडसम लड़का उसे देखने क्यों आएगा. उसे मालूम नहीं था कि आखिर लड़के वाले उसे देखने किस कारण से आ रहे हैं. इस बार ऐसा कौन था जो उसकी तस्वीर देखने के बाद भी उसे घर देखने आने की हिम्मत रखता था. घर के हॉल में नैना के सारे परिवर वाले लड़के वालों के आवभगत की तैयारी में लगे हुए थे. कुछ ही देर में वहां लड़की और लड़के वाले दोनो पक्षो की महफ़िल जम गई. नैना के घर वाले सुजीत को अपना जमाई मान ही चुके थे और सुजीत भी नैना के मम्मीपापा से काफी घुल मिल चुका था. 

घर का माहौल काफी खुशनुमा हो गया था. दोनो पक्षो में काफी हंसीमजाक, एक दूसरे के बच्चो की तारीफें हो रही थी. उतने में नैना के पिता ने इशारे में नैना की मां से नैना को बुला कर लाने को कहा.

मां ने नैना के कमरे में जाकर देखा कि नैना ने अभी तक महमानों के सामने आने की कोई तैयारी न कि थी. नैना की इस लापरवाही पर मां बिफर उठी और नैना को अपने हांथो से फटाफट तैयार करने लगी. नैना का मेहमानों के सामने जाने को कोई इरादा ही न था या यूं कहिए की नैना को तो भरोसा ही नहीं था कि उसे कोई लड़का देखने भी आ सकता है. नैना की एक और बहन थी. उम्र में उससे छोटी पर खूबसूरती में उससे लाख गुना बेहतर. यूं तो नैना भी कोई कम सुंदर न थी पर एक गलती की सज़ा उसे आज तक भुगतनी पड़ रही थी और शायद पूरी ज़िंदगी तक भुगतनी पड़े. कुछ साल पहले की बात हैं. छोटी बहन सुनैना की पूरियां तलने की ज़िद के कारण खोलते तेल की कूछ बूंदे नैना के चांद से चहरे पर उस पर नज़र आने वाले दागो का काम कर गई. छाले तो कुछ ही दिनों में ठीक हो गए पर अपने होने के वजूद का निशान हमेशा के लिए उसके चेहरे पर छोड़ गए. नैना को मेहमानों के सामने लाया गया. नैना को आता देख मानो लड़के वालों के होश उड़ गए. उन्हें विश्वाश ही न हुआ कि यही नैना हैं. सुजीत ने पूछा, “ जी वो आप…? ” 

नैना की मां ने हंसते हुए जवाब दिया, “ बेटे यही तो हैं नैना, ” 

“ पर आपने फ़ोटो तो…” सुजीत के मातापिता ने अपने मन में नैना की तस्वीर बनाते हुए कहा जो उन्हें दिखाई गई थी. ”

“ अरे! भाई साहब फ़ोटो का क्या है उसमें कहां सब साफसाफ दिखता हैं. ” नैना की मां ने बनावटी हंसी हस्ते हुए बताया.

नैना को सारा माजरा समझ मे आ चुका था. उसने बिना किसी बहस के सुजीत से अपनी वो फ़ोटो मांगी जो उसे दिखाई गई थी. नैना ने अपनी फोटोशॉप की हुई फ़ोटो में अपनी शक्ल देखी तो उसके गुस्से का ठिकाना ही न रहा. वह नहीं जानती थी कि उसके मातापिता ने उसकी असली तस्वीर लड़के वालों के पास भेजी ही नहीं.

नैना ने अपने हाथ जोड़कर लड़के वालों से कहा, “ देखिए मुझे नहीं पता था कि मेरे परिवार वाले ऐसी हरकत करेंगे. इसमे आपकी कोई गलती नहीं. आपका समय बर्बाद करने में लिए हमें माफ कीजियेगा. ”

लड़के वाले चुपचाप अपने मिठाई का डिब्बा वहां छोड़ वहां से उठकर चल दिये.

नैना ने अपने मातापिता से बेहद क्रोध में पूछा, “ मेरी ऐसी फ़ोटो मुझसे बिना पूछे किसने बनाई ? ”

“ बेटा वो तो हमने सोच… ” मां को बीच मे रोकते हुए नैना ने अपने सवाल का जवाब मांगा.

“ वो सुनैना ने बनाई बेटा, पर हमारे कहने पर. अब असली फ़ोटो ही तो भेज रहे थे न आज तक, कुछ हुआ क्या ?, तो सोचा… ” मां ने कहा.

“ तो इतनी जल्दी हैं मुझे यहां से निकलने की आप लोगो को. ” बोलकर नैना रोती बिलकती अपने कमरे में जा घुसी. नैना उस दिन खुद को अपने कमरे में बंद करके खूब रोई और कोसती रही उस घड़ी को जब उसके कोमल से चेहरे पर उफंफे हुए तेल के छींटे पड़े थे. 

शाम से बंद कमरे के घुटते वातावरण से निजात पाने के लिए करीब आधी रात को जब नैना अपने कमरे से बाहर निकली तो पास वाला कमरा जो उसकी छोटी बहन सुनैना का था, में से एक अजीब सी बुदबुदाहट सुनाई दी. नैना ने कमरे के बाहर रुककर सुनैना की बाते सुनी तो मालूम हुआ कि सुनैना देर रात को अपने चाहने वाले से इश्क़ लड़ा रही थी. सुनैना की इस आवारगी पर नैना के सारे ज़ख़्म हरे हो गए जो जाने या अनजाने में सुनैना ने उसे दिए थे. फिर चाहे वह सालों पहले उसके गालों पर पड़े तेल के छींटों वाली बात हो या आज फ़ोटो वाली बात. सुनैना के प्रति उसकी ईर्ष्या कहर बनकर उस पर बरस पड़ी. नैना ने ज़ोरो से गेट खटखटाया, “ सुनैना, जल्दी दरवाज़ा खोल सुनैना. ”

बड़ी बहन की आवाज़ सुनकर सुनैना ने फ़ोन काटा और दरवाज़ा खोलकर खड़ी हो गई. 

नैना ने पूछा, “ क्या हो रहा है इस वक़्त ? ”

“ कुछ नहीं तो ” सुनैना ने बनावटी हंसी हस्ते हुए कहा.

नैना रास्ता रोके खड़ी सुनैना को बाजू से धकेलती हुई उसका फ़ोन जो तकिये के नीचे छुपाकर रखा गया था, खंगालने लगी. नैना ने जब उसका वाट्सएप्प टटोला तो उसमें सुनैना और उस लड़के ने ऐसी कई सारी बाते कर रखी थी जो खुलकर पढ़ी भी न जा सके.

नैना वहीं चारपाई पर बैठकर और गहरी छानबीन करने लगी तो उस लड़के की सुनना के साथ ऐसी कई तस्वीर भी पाई जो उनके घरवालों के हांथो लग गए तो मानो प्रलय आ जाये. 

नैना को उन तस्वीरों को देख जितना गुस्सा आ रहा था उससे कही ज्यादा उसे सुनैना से ईर्ष्या भी हो रही थी. सुनैना अंदर ही अंदर कुढ़ते जा रही थी कि आखिर क्यों उससे ईश्वर ने वह सारी आज़ादी छीन ली जो इस उम्र में सबके पास होती है. नैना ने सुनना को धमकाते हुए कहा, “ अभी रुक, तेरी सारी अय्याशी घरवालों को बताती हूं. बहुत सीधी बनी फिरती है ना सबके सामने.”

सुनैना को बड़ी बहन नैना का ऐसा बरताव बिलकुल भी पसंद न आया. वह समझ चुकी थी कि यह आज उन लड़के वालों के मना कर देने की खींस है जो दीदी मुझपर निकाल रहीं हैं.

नैना ने शोर मचामचा कर पूरा परिवार सुनैना के कमरे में इकट्ठा कर लिया घर वालो को जब इस बात का पता चला और फ़ोन की गैलेरी में सेव सुनैना और उस लड़के की वह तस्वीरे देखी तो मानो सुनैना पर मुसीबत के पहाड़ टूट पड़े हो य यों कहिये की नैना ने आज अपनी ज़िन्दगीभर का सारा बदला लें लिया हो. 

पिताजी ने अपना माथा पीटते हुए बेड पर ज़िंदा लाश की तरह मौन बैठी सुनैना से इस सब का जवाब मांगा.

सुनैना ने क्रोध से लाल आंखे नैना की ओर करते हुए सारा ज़हर उगल दिया जो न जाने कब से उसके अंदर उफन रहा था. नैना ने बताया, “ अरे, इनकी शादी नहीं हो रही उसमे मेरी क्या गलती हैं. घर मे जब तक इनकी शादी नहीं हो जाती तब तक मेरी भी नहीं हो सकती, पर इसका मतलब यह थोड़ी की मैं इन से पहले किसी से प्यार भी नहीं कर सकती. और वैसे भी इनसे कौन….. ” कहकर नैना रुक गई. 

सुनैना की बातों का मतलब नैना अच्छी तरह से समझ चुकि थी. एक बार फिर नैना को उसकी बदसूरती का एहसास दिला दिया गया था. इस पूरी रात भी वह अपने कमरे का दरवाजा अंदर से बंद किये फूटफूट कर रोई.

नैना को अब उसके जीवित रहने का कोई मतलब ही न दिखाई दिया, रात को अकेले में मौका पाकर जैसे ही नैना अपनी छत की मुंडेर से कूदकर अपनी जान देने के लिए चढ़ी तभी उसके पड़ोसी दिनेश जो उसके पड़ोस के घर मे किरायदार था और उसके घर की छत नैना के घर की छत से मिली हुई थी, उसने आकर नैना को पीछे से कमर के हिस्से से अपनी दोनो बाहें फैलाये पकड़ा और नीचे उतारा लिया. दिनेश का नैना को इस तरह से पकड़ना नैना के लिए एक अलग एहसास था जोकि बड़ा अजीब भी था. दिनेश ने उसे ऐसे ही पकड़े रखा और पूछा, “ ये क्या कर रही हो तुम ?”

“ पहले तुम मुझे छोड़ो. ”  उसकी ऐसी पकड़ नैना को बेचैन कर रही थी.

दिनेश ने अपनी पकड़ ढीली कर नैना को अपनी ओर मोड़ा, “ तुम आत्महत्या करने जा रही थी, और क्यो ? ”

“ तो क्या करूंगी यहां रहकर. इस दुनियां में सब रूप पे ही तो मरते हैं. सबको ऊपर की खूबसूरती चाहिए, बाहर वाले क्या मेरे घर वाले ही मुझे हर वक़्त बातबात पर मुझे में मेरी बदसूरती का एहसास दिलाते रहते हैं. वह मेरे लिए हर काम करते हैं जिससे मुझे याद रहे कि में एक भद्दी शक्ल वाली बदसूरत लड़की हूं. आज तक कोई एक भी ऐसा रिश्ता नहीं आया जो मुझे देखने के बाद एक पल भी मेरे घर पर ठहरा हो. ऐसे में मैं क्या करूं ज़िंदा रहकर. ” नैना ने रुआंसी सी आवाज में सब कुछ एक सांस में ही बक डाला. 

“ तो इस बात के लिए तुम जान दे दोगी. ” दिनेश ने नैना की पनियाती आंखों में झांकते हुए कहा.

“ तो इस चेहरे के साथ और क्या करूं बताओ. सारी जिंदगी भर यहां ऐसी ही पड़ी रहूं ? ”

“ तो क्या जान देना ही सिर्फ़ इसका एक हल हैं ?… सिर्फ कुछ लड़कों के मना कर देने से तुम ख़ुद अपनी जान दे दोगी. ” दिनेश ने बड़ी मासूमियत भरी आवाज़ में कहा और नैना को सीने से लगा लिया.

ज़िन्दगी की दौड़ में हार चुकी नैना को दिनेश ने एक बार और नए सिरे से ज़िन्दगी शुरू करने की राह दिखाई थी. 

अब दिनेश से मिलने के बहाने नैना का पूरे दिन छत पर आना जाना लगा रहता. घर वाले जल्द ही भाप गए की नैना को ये किस चीज़ की हवा लगी हैं जो वो आजकल इतनी सज सावरकर सबसे चोरीछिपके उस दिनेश से बतियाती रहती हैं.

दिनेश की सूरत भले ही भोली क्यों न हो पर मन से तो वो कपटी ही था. इससे पहले भी वह अपनी दो बीवीयों को छोड़ चुका हैं.

आज फिर दोनों अपनी छत पर मीले और दोनो में काफी छेड़छाड़ भरी बाते हुई. नैना शाम को अपने कपड़े लेने के लिए छत पर आई थी पर सामने से उसे हवस भरी नज़रो से देखता हुआ दिनेश उसके गदराए बदन और उफनते योवन का मजा लेना चाहता था. वह रस्सी में नैना के सूखते दुपट्टे को अपनी कलाई में बांधे नैना की ओर अपनी नशीली नज़रे गड़ाये हुए खड़ा था. नैना ने उसके पास जाकर उसके हांथ से अपना दुपट्टा छुड़ाया और एक प्यारी सी हंसी के साथ बाय का इशारा करते हुए जाने लगी, दिनेश ने उसे रोका और कहा, “ सुनो.. ” नैना के कदम रुक गए.

“ आज रात को आना जब सब सो जाए कुछ काम हैं तुमसे. ”

“ रात को क्यों ? ” नैना ने बड़ी धीमी आवाज़ में पूछा.

“ अरे, बोला न कुछ काम हैं. ” दिनेश ने आहिस्ता से कहा.

रात को नैना ठीक 12 बजे सब के सो जाने के बाद चुपके से छत पर पहुंच गई. उधर दिनेश नैना के इंतज़ार में पहले से ही अपनी छत पर मौजूद था. वह नैना का हांथ पकड़कर उसे अपनी छत पर लेकर आया और दबे पांव अपने किराये के कमरे में ले गया. नैना की दिल की धड़कने तेज़ हुई और उसने सहमते हुए पूछा, “ तुम मुझे यहां क्यों लाये हो ? ”

दिनेश अपने दरवाजे की कुंडी लगा कर आगे बढ़ा और टेबल लैंप का बटन ऑफ कर दिया. नैना को मालूम था कि यह सब गलत हैं पर जवानी के जोश के आगे यह सब बड़ा रोमांचिक महसूस जान पड़ रहा था. जिसके कारण नैना ने कोई भी तर्क न किया और दिनेश का पूरा साथ दिया. सुबह के 4 बजे नैना जैसे वहां आई थी उसी प्रकार वहां से जाकर अपने कमरे में चुपचाप सो गई. अब दिनेश आए दिन ऐसे ही चोरीछिपके नैना को अपने रूम में ले आता और जम कर उसका जिस्म भोगता. नैना को इस बात पर पूरा विश्वास था पर फिर भी वह कभीकभी दिनेश से पूछ लेती की वह उससे शादी करेगा न पर दिनेश हां, हूं करकर बात टाल दिया करता. ऐसे ही दिन बीतते चले गये और ना समझी में नैना शादी से पहले ही गर्भवती हो गई. यह बात जब उसने दिनेश से बताई और कहा, “ चलो अब हम जल्दी से शादी कर लेते हैं किसी को पता भी नहीं चलेगा और हम पति पत्नी भी हो जाएंगे. ”

“ ये तुम शादीशादी क्या करने लग जाती हो बारबार, और कोई काम नहीं हैं क्या ? ” दिनेश ने अपना पलड़ा झाड़ते हुए कह दिया.

“ क्या !…मैं शादीशादी करती रहती हूं. शादीशादी न करु तो क्या करू, इतने दिन से रोज़ रात को बुलाकर ले आते हो मुझे और अब कहते हो शादिशादी न करूं. ”

नैना भी भड़क उठी.

“ बुलाकर ले आता हूं ! ” दिनेश ने आश्चर्य से अनजान बनते हुए कहा.

“ हां तो और कौन लेकर आता हैं ? और अब पीछे हट रहे हो ? ”

“ अरे जा. मैं आधी रात को तुझे आपने घर लेकर आता हूं, और वो भी तुझे. ‛एक अधजली लड़की को’. अरे, दुनिया मे कोई विश्वाश नहीं करेगा इस बात पर. ” दिनेश ने बड़े ही क्रुर लहजे में कहा जिससे नैना को बड़ी चोट पहुंची.

“ ये ले इस पते पर चली जा और गिरवा दे इसे इससे ज्यादा कुछ नहीं कर सकता मैं, बहुत अच्छी डॉक्टर हैं मेरी जान पहचान की हैं. चुपचाप सब हो जाएगा. ” दिनेश ने नैना को एक डॉक्टर का कार्ड पकड़ाते हुए उससे आंखे फेरते हुए कहा.

“ गिरवा दूं.. इसीलिए पैदा किया था, गिरवाने के लिए. पहले जम कर मज़े लूटे अब अपनी बात से मुकरते हो. ”

“ अरे जा जा कर बता दे पुलिस वालों को वैसे भी कोई घास नहीं डालता तुझे, इसके बाद तो घर वाले भी घर से भगा देंगे, भलाई इसी में हैं गिरवा दे इसे और पहले की तरह अपने काम पर ध्यान दे और ये शादिवादी दिमाग से निकाल दे. मेरा क्या हैं कल फिर कोई दूसरा शिकार ढूंढ लूंगा. ” दिनेश ने बड़ी ही बेशर्मी से कहा.

उस दिन के बाद से दिनेश दोबारा उस घर मे न दिखा. नैना की हिम्मत न हुई कि उसके साथ जो कुछ भी हुआ वो बात वह किसी और को बता सके क्योंकि गलत बेशक नैना के साथ हुआ हो पर अपनी हालत की वह खुद भी बराबर की हकदार थी. कुछ दिनों बाद नैना ने भी घर से भाग जाने की योजना बनाई. उसे घर से भाग कर सारी जिंदगी कुवारी रहना पसंद था पर अपने माथे एक निर्दोष बेज़ुबा बच्चे की हत्या के पाप का बोझ उसे मंज़ूर नहीं. रोज़ की तरह आज जब काम पर जाने के लिए भागने की पूरी तैयारी के साथ जैसे ही नैना अपने कमरे से निकली वैसे ही मातापिता और सुनैना नैना के आगे खुशी से नाचनेझूमने लगे. नैना ने हैरानी से पूछा, “ ये आप लोगो को क्या हो गया ? नाच क्यों रहे हो ? ”

“ ये लो दीदी जीजाजी का फ़ोन हैं, बात करेंगे आप से ”

कहकर सुनैना ने फ़ोन नैना को पकड़ा दिया.

“ जीजाजी !…” नैना ने आश्चर्य से बोलते हुए फ़ोन कान पर लगाया.

“ जी वो मैं सुजीत, वो उस दिन आया था न आपको देखने. ” फ़ोन पर सुजीत था.

“ जी हां कहिये क्या बात हैं. ”

“ जी वो मैंने घर आकर अपने घर वालो से कुछ दिनों तक विचार किया और में आपसे ही शादी करना चाहता हूं. ”  सुजीत के ये शब्द कॉम में गए किसी मरीज को वापस पहले जैसा करने का काम कर रहे थे.

नैना ने सुजीत से अकेले में मिलने को कहा और अपने साथ हुई सारी बाते बता डाली क्योकि वह उसे किसी भी प्रकार के भ्रम में नहीं रखना चाहती थीं. सुजीत को भी इस बात से कोई आपत्ति नहीं थी जिस कारण कुछ ही दिनों में दोनो की शादी कर दी गई. 

सुजीत एक मल्टीनेशनल कंपनी में एम्प्लॉय था इस वजह से अच्छा वेतन भी पाता था. शहर के नामी ग्रामी सरजन से मिलकर पता चला कि ये तो बस मामूली से दाग हैं जिनका इलाज बहुत आसान हैं. कुछ महीनों के उपचार के बाद नैना अपने पहले वाले रूप में आ गई. और नैना की वही खूबसूरती दोबारा लॉट आई.

समय अनुसार नैना ने अपने बच्चे को जन्म दिया और अपने मातापिता का आशीर्वाद लेने अपने मैके पहुंची. नैना की मां ने बच्चे को गोद मे लेते हुए कहा, “ बिल्कुल अपने बाप पर गया हैं. ” इस पर नैना और सुजीत एक दूसरे की ओर देखते हुए हँस दिए.

— हेमंत कुमार

हेमंत कुमार

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