क्षणिका

विचारों की उम्र

कहाँ गए वो दिन जब लोग
नींबू, प्याज, मिर्च को काला धागे से
पिरोकर घर के आगे, गाड़ी के आगे,
दुकान के आगे नजर उतारने के लिए टाँगते ?

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अपने ही देश में मजदूर
‘अप्रवासी’ कैसे हो गए ?
वहीं
‘प्रवासी’ शुद्ध शब्द नहीं है,
अखबारनवीसों !

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बड़े लोग चुटकी भर ही करे
तो न्यूज़ !
हम जैसे छोटे लोग
‘बड़ी’ चीज करें भी
तो पत्रकारन उसे
‘बकलोली’ ठहरा देते !

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मूल्यांकन करनेवाले
शिक्षकों की हड़ताल
और कोरोनाई लॉकडाउन के कारण
बिहार मैट्रिक का रिजल्ट की
उत्तीर्णता 100% कर देते !

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मेरा कहना है-
मित्रता उम्रों से नहीं,
विचारों के मेल से होती है।
अगर विचार नहीं मिले,
तो अलग हो जाना चाहिए !

डॉ. सदानंद पॉल

एम.ए. (त्रय), नेट उत्तीर्ण (यूजीसी), जे.आर.एफ. (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार), विद्यावाचस्पति (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर), अमेरिकन मैथमेटिकल सोसाइटी के प्रशंसित पत्र प्राप्तकर्त्ता. गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स होल्डर, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, RHR-UK, तेलुगु बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, बिहार बुक ऑफ रिकॉर्ड्स इत्यादि में वर्ल्ड/नेशनल 300+ रिकॉर्ड्स दर्ज. राष्ट्रपति के प्रसंगश: 'नेशनल अवार्ड' प्राप्तकर्त्ता. पुस्तक- गणित डायरी, पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद, लव इन डार्विन सहित 12,000+ रचनाएँ और संपादक के नाम पत्र प्रकाशित. गणित पहेली- सदानंदकु सुडोकु, अटकू, KP10, अभाज्य संख्याओं के सटीक सूत्र इत्यादि के अन्वेषक, भारत के सबसे युवा समाचार पत्र संपादक. 500+ सरकारी स्तर की परीक्षाओं में अर्हताधारक, पद्म अवार्ड के लिए सर्वाधिक बार नामांकित. कई जनजागरूकता मुहिम में भागीदारी.