सामाजिक

एक सवाल : क्यों फरेब कर लड़कियों के फोटो सोशल मिडिया पर अपलोड करते

लो आज फिर एक नया सवाल लिये कलम को चला बैठी,नहीं रोक पाती अपनी संवेदनाओं को जब कोई अप्रिय,घिनौनी घटना को अखबार की सुर्खियों मे पाती।सच बहुत ही घिनौनी,वाहयात हरकत जिसमे एक लड़की को प्यार के झांसे मे लेके अनेकों स्वपन दिखाऐ जाते लड़की भी हसीन सपनों मे खोके स्वर्णिम ताने बाने बुन लेती भविष्य के पर उसे क्या पता होता है कि भविष्य के लिये बुने यही स्वर्णीम धागे उसकी जिंदगी मे कालिख पोत देंगे।उसे ना पता होता है कि जिसे वो अपना सर्वोपरि मान बैठी है वही उसकी जिंदगी को नर्क बना देगा।सच आज का मन मे उठा सवाल है कि *क्यों एक लड़की को झांसे मे लेके उसके साथ खिलवाड़ करके उसके फोटो सोशल मिडिया मे अपलोड कर दिये जाते हैं?क्यों किसी की इज्जत को यूं तार-तार कर समाज मे उछाल दिया जाता है?लड़की यदि आपके मन मुताबिक आपकी बात नहीं मानती तो ये कौन सा तरीका है उसे बदनाम कर दुनिया मे बदला लेने का।क्या ये सही है?
       बहुत से ऐसे किस्से अखबारों मे पढ़े हैं जिसमे किसी के विश्वास के चिथड़े इस तरह तोड़े जाते कि वो बदनामी ही अपनी सहन नहीं कर पाता है।बदनामी के डर से खुद को ही मौत के हवाले कर देता।कितनी ही गिरी हुई हरकत हे ये क्या ये इंसानियत है?क्या ये है सच्चा प्यार?क्या अब कोई भी प्यार पे विश्वास करेगा ऐसे मे?कितने सवाल हैं जो समाज मे लोगों के दिलों मे उठते हैं कि कैसे लोग प्यार को खेल और बदला लेने के लिये इस हद तक गिरकरजाते हैं?क्या हक है किसी की आबरु को यूं उछालने का किसी को।
   यदि आज यदि मिडिया पे ही जब खोजा गया तो इतने ऐसे विडियो हैं जो लोगों ने समाज के मुख पे कालिख पोखते हुए हमारे संस्कारों को भी भूल हया के चिथड़े करके औरतों के विडियो को अपलोड करा हुआ है।ये भी ना सोचा कि वो भी किसी घर की इज्जत है।यदि लड़कि आपकी बात नहीं मानती या तो सिर्फ़ उससे उसके जिस्म़ पाने की चाहत पूरी ना होने पर आप उसके साथ ये घटिया हरकत करतें हैं कि उसे खुद न पा सके तो उसे किसी ओर के भी लायक ना छोड़ना बहुत ही गिरी हुई सोच और संक्रमणिक बुध्दि को दर्शाती ये बहुत ही निंदनीय कार्य है।हमें कोई भी अधिकार नहीं की हम ये हरकत करें।आज कि नवयुवा पीढ़ी मे वैसे भी कहा धीरज मिलता है बस हर पल आक्रोश मे भरे रहकर छोटी-छोटी बातों पर तुल पकड़ कर विवाद शुरु कर देते हैं।बहुत बार आंखों देखा हाल बता रही हूं कि लड़की से राह पर ही विवाद हो गया उसे रास्ते पर ही चांटा मार दुनिया के सामने जलिल भी करते।क्या हक है हमें किसी के घर की बेटी,बहू के साथ यूं क्रूरता प्रकट कर सरेआम बदनाम करना।थोड़ा तो जोश,गुस्से को छोड़ते हुए होंश मे आकर काम करिये सोचिये तो सही आप कितना बड़ा गुनाह करने जा रहे हैं।इस तरह मिडिया मे किसी भी औरत को विश्वास मे लेकर उसके साथ अकृत्य कर और उसके इज्जत को यूं उछाल कर उसके विश्वास को छलनी करना ये कौन सा मर्दांगनी का काम है।आज इस तरह की बदनामी से ना जाने कितनी बच्चियों की जिंदगी जीते जी ही खत्म हो चुकी होगी।ना जाने बदनामी के डर से कितनी लड़कियों ने खुद को खत्म कर लिया होगा।सच एक संदेश बस देना चाहती हूं।
   *होंश मे काम करें,जोश मे नहीं,किसी की इज्ज़त और विश्वास को तार-तार ना करें।औरत की इज्ज़त करें।*
— वीना आडवानी

वीना आडवाणी तन्वी

गृहिणी साझा पुस्तक..Parents our life Memory लाकडाऊन के सकारात्मक प्रभाव दर्द-ए शायरा अवार्ड महफिल के सितारे त्रिवेणी काव्य शायरा अवार्ड प्रादेशिक समाचार पत्र 2020 का व्दितीय अवार्ड सर्वश्रेष्ठ रचनाकार अवार्ड भारतीय अखिल साहित्यिक हिन्दी संस्था मे हो रही प्रतियोगिता मे लगातार सात बार प्रथम स्थान प्राप्त।। आदि कई उपलबधियों से सम्मानित