लघुकथा

लक्ष्मी

टन टन टन टन,,,,दादी आप ये थाली क्यों बजा रहीं हैं,नन्ही मुनिया ने जिज्ञासावश दादी से पूछा.”अरे हमारी गाय बछिया जनी है तो खुशी की बात है ना, तो समझो घर में लक्ष्मी आयी समझी, कह कर मुनिया की दादी आगे बढ़ गयी.मुनिया को कुछ भी समझ नही आया तो वह सीधे अपनी माँ के पास गई और पूछने लगी “माँ ये बछिया लक्ष्मी कैसे बन गयी और ये बछिया क्या है”.
            मुनिया की माँ हंसते हुए कहने लगी
“अरे मेरी लाडो बछिया मतलब हमारी गाय की बेटी और ये बड़़ी होने पर”  हमें दूध देगी जैसे अभी ये गाय हमेंं दूध देती है दूध बेचने पर पैसे मिलेंगे तो हुई ना वह लक्ष्मी, इसलिए दादी खुश है.
            माँ की बातों से मुनिया की जिज्ञासा
 और बढ़ गई वह पूछ बैठी “लेकिन मेरी छोटी बहन लाली पैदा हुई तो दादी इतनी नाराज क्यों हुई थीं,,लाली भी तो बेटी है क्या वो लक्ष्मी नही है.मुनिया की  माँ मुस्कुरा कर कहने लगी तेरी दादी तो तेरे आने से भी नाराज हुई थी तू छोड़ ये सब,, जा बाहर खेल कर आ.मुनिया के दिमाग में अभी भी लक्ष्मी घूम रही थी।
— अमृता राजेन्द्र प्रसाद जोशी

अमृता जोशी

जगदलपुर. छत्तीसगढ़