गीत/नवगीत

ख्वाबों के नादान परिंदे

ख्वाबों के नादान परिंदे,
दूर देश से उड़ आते हैं।
पवन वेग से विचर विचर कर
मन मुंडेर पर चढ़ जाते हैं।
छतरी रंगबिरंगी  जैसे
खड़ी खेत में कजरी जैसे
सरसों सा पुष्पित पीलापन
फूल रही हो बजरी जैसे
वायुयान से कभी क्षितिज पे
कोटर में कभी छिप जाते हैं
ख्वाबों के नादान परिंदे
दूर देश से उड़ आते हैं……..!!
कभी बने भोले से बच्चे
सहला जाये गालों पर
पलकों पे करें किलोल कभी
पंजे उलझाते बालों पर
सपनों के सौदागर इनको
झूठ -झूठ ही भरमाते हैं
ख्वाबों के नादान परिंदे,
दूर देश से उड़ आते है……!!!
कभी प्रवासी बंजारे से
मोहक सी इनकी हस्ती है
झरते हों चुपके कनक फूल
मदिरालय जैसी मस्ती है
बड़े बड़े वो शहंशाह भी
इनको नहीं पकड़ पाते हैं
ख्वाबों के नादान परिंदे,
दूर देश से उड़ आते है……!!!
— रागिनी स्वर्णकार(शर्मा)

रागिनी स्वर्णकार (शर्मा)

1- रचनाकार का पूरा नाम- श्रीमती रागिनी स्वर्णकार (शर्मा) 2- पिता का नाम-श्री पूरन चंद सोनी 3- माता का नाम -श्रीमती पार्वती 4- पति / पत्नी का नाम- श्री अरुण शर्मा 5- वर्तमान/स्थायी पता -डायमंड रेजीडेंसी, a सेक्टर सिलिकॉन सिटी राऊ ,इंदौर ,जिला-इंदौर मध्यप्रदेश 6- फोन नं/वाट्स एप नं. - 9754835741 7- जन्म / जन्म स्थान-बेगमगंज ,जिला- रायसेन जन्मतिथि 01,/05/1970 8- शिक्षा /व्यवसाय- बी.एस-सी.,एम .ए.(हिंदी,इंग्लिश) एम.एड. 9- प्रकाशित रचनाओं की संख्या-- 300 रचनाएँ प्रकाशित 10- प्रकाशित रचनाओं का विवरण । (लगभग 300 रचनाएँ समाचार पत्र ,संचार एक्सप्रेस ,निशात टाईम्स ,रीडर एक्सप्रेस भोपाल, लोकजंग भोपाल,दैनिक भास्कर भोपाल,देशबन्धु भोपाल ,से प्रकाशित हो चुकी हैं ) संकल्प शालेय पत्रिका का 7 वर्ष से सम्पादन