संस्मरण

भाई बिन कैसी राखी

भाई शिशिर!
हर घड़ी बदल रही है रूप ज़िंदगी
छाँव है कभी कभी है धूप ज़िंदगी!!!
तुम्हारे शब्द….किसी को ना मिली ऐसी बहना, बहना तेरा क्या कहना, तुझको है मेरा बस यह कहना,ह रदम हमेशा ख़ुश रहना,मेरी दुआ है ओ मिली,तू रहे हमेशा फूल की तरह खिली,और सदा ख़ुशियाँ बिखेरती रहे यह कली!!!
एक बार कहा था तुमने मेरे शब्दों से हमेशा ज़िंदा रहूँगा में चाहे दूर रहूँ या पास!!तुम्हारे लिखे पत्र मेरी ज़िंदगी में सुकून हें!भाई का अपनी बहन से रूठना तो सह लेती हे एक बहन पर रिश्ता ख़त्म कर दे भाई तो टूट जाती हे बहन…..क्लास 8 में थे हम जब तुम्हें अपना भाई माना,इकलोती हूँ ना,हमेशा भाईं की कमी महसूस करती आई हूँ,बी० ए॰ फ़र्स्ट ईयर में मम्मी के जाने के बाद तुम्हारे पत्रों ने मुझे वापिस जीने की हिम्मत दी!तुमने एक पत्र में लिखा था,तुझे खुद की मम्मी खुद बनना पड़ेगा,जैसे मम्मी तुझे डाटतीं थी अब तुझे यह काम खुद सीखना पड़ेगा!तुम्हारी मम्मी और तुम्हारे छोटे भाई ने भी बोहोत प्यार दिया मुझे जो में कभी भूल नहीं पायूँगी!!पर ना जाने क्यूँ अपने रिश्ते को नज़र लग गई,तुम बिना कुछ कहे चले गये!पर प्यार कभी ख़त्म नहीं हुआ मेरे दिल में और तुम्हारी जगह भी कोई नहीं ले पाया कभी!यह राखी हमेशा तुम्हारी याद दिलाती हे, मुझे पता भी नहीं तुम कहाँ हो,जहां भी होगे लोगों में ख़ुशियाँ बाँट रहे होंगे!!15 साल से रखीं 15 राखियाँ तुम्हारे वापिस लोटने के इंतज़ार में हें भाई!मेरी कोई गलती हो तो माफ़ कर दो मुझे और लौट आओ वापिस!
तुम्हारे इंतज़ार में….
हमेशा से तुम्हारी बहन मिली

डॉ. मिली भाटिया आर्टिस्ट

रावतभाटा, राजस्थान मो. 9414940513