इतिहास

बिहार स्थापना दिवस को नए सिरे से जानिए

बिहार दिवस की शुभकामनाएं, पर बिहार स्थापना की वास्तविक तिथि क्या है ?

“बिहार सरकार वर्ष- 2010 से 22 मार्च को ‘बिहार दिवस’ के रूप में मनाते आ रहा है। वर्ष 2010 से पहले बिहार अपनी स्थापना दिवस 1 अप्रैल को ही मनाता था, तभी तो 22.03.1912 को बिहार की स्थापना का ज़िक्र सही नहीं है ! जबकि इसी वर्ष के पहली अप्रैल को बिहार को एक स्टेट-सिम्बल के रूप में अपना स्टाम्प व मुहर मिला था, जो कि सर्वप्रथम राजधानी को कलकत्ता से स्थानान्तरण हो पटना में क्रियान्वित होने और सचिवालय आदि अन्य कार्यालयों के जनित होने से था। अगर 12.12.1911 को ब्रिटिश सम्राट के दिल्ली दरबार में बंगाल से बिहार को उड़ीसा के साथ अलग प्रांत बनाये जाने की घोषणा को मान लिया जाय, तो 01.04.1912 की तिथि ही ब्रिटिश भारत में बिहार प्रांत की स्थापना माना जाएगा, किन्तु यह वास्तव में भी सही नहीं है, क्योंकि अगर ऐसा हुआ होता, तो रबीन्द्रनाथ ठाकुर (टैगोर) की रचना ‘भारत भाग्य विधाता’ में उड़ीसा (उत्कल) की चर्चा है, परंतु बिहार की चर्चा नहीं है, जबकि उन दिनों उड़ीसा ‘बिहार’ का कमिशनरी मात्र था और वो 1936 में बिहार से अलग होकर अलग प्रांत का दर्ज़ा पाया था। यहां कई बातें एक साथ दृष्टिगोचित होती है- या तो श्री ठाकुर की रचना में ‘उत्कल’ शब्द बाद में जोड़ा गया है या तो ‘बंग’ (बंगाल) शब्द देकर और ‘उत्कल’ शब्द जोड़कर एकपक्षीय कविता रची गयी, चूंकि गृह मंत्रालय, भारत सरकार के पास ऐसी रचना के प्रथम प्रकाशित पत्रिका का कोई प्रमाण नहीं है और सबसे जटिल स्थिति इस कविता के भाषा का है। खैर, हम अब बिहार पर लौटते हैं। यह शब्द ज्यादा पुराना नहीं , जो क़ि बंगाल के मुसलमानों की उच्चरित-देन ज्यादा प्रतीत होती है। बंगाली मुसलमान ‘तुर्की’ भाषा से प्रभावित रहे हैं और बांग्ला वर्ण में ‘व’ को ‘ब’ कहा जाता है। महात्मा बुद्ध के जीवित रहते और महापरिनिर्वाण के कई सदी बाद तक सम्पूर्ण बंगाल में ‘मठ’ या ‘विहार’ काफी संख्या में यत्र-तत्र अवस्थित थे। नालंदा, राजगीर, गया, अंगदेश (भागलपुर) , पुरैलिया (अब प. बंगाल में) इत्यादि स्थानों में बौद्ध-विहार रहे हैं। यह विहार ही तुर्क-बंगालियों के मुखारविंद में आकर कालान्तर में ‘बिहार’ कहलाया, यह तथ्य सटीक हो सकता है, पर पूर्ण सटीक नहीं ! इसके कई कारण है। जहां तक मैं जानता हूँ, ‘बिहार’ शब्द किसी भी संस्कृत और हिंदी शब्दकोश में नहीं है, यह बौद्ध काल के पालि में भी नहीं है (अगर किसी के पास सम्बंधित-प्रमाण है तो उपलब्ध कराने की कृपा करेंगे)। भारतीय इतिहास में 16 महाजनपदों का ज़िक्र है, जिनमें कई बिहार क्षेत्र में रहा। परंतु तब भी उस परिप्रेक्ष्य में ‘बिहार’ नाम का उल्लेख नहीं मिलता है। हाँ, कुछ सदी पहले ही नालंदा अवस्थित ‘बिहार शरीफ़’ ख्याति लिए रहा है। बंगाल के पाल राजवंश के पतन के बाद और तुर्क मंगोलाई के उत्थान (आक्रमण) का समय 1198 ई. माना जाता है। ओदन्तपुरी या ओदवन्तपुरी को जीत कर इख़्तियारुद्दीन मुहम्मद इब्ने बख्तियार ख़िलज़ी ने इसे अपनी राजधानी बनाया, लेकिन राजधानी के साथ ही उनका नाम ‘बिहार शरीफ’ कर दिया। बिहारशरीफ को ‘बिहार’ भी कहा जाने लगा। उस समय बिहार का उल्लेख राजधानी के रूप में होना संभव है, चूंकि तब राजधानी भी प्रांत के नाम से ख्यात् होता था। बिहाररूपेण प्रशासन इकाई की चर्चा ‘तबकात-ए- नासिरी’ (लेखक:-मिन्हाज़) में ही पहली बार है। शेरशाह को पेशवा की भांति सहसराम (सासाराम) के सूबेदार के रूप में मूलरूपेण जाना जाता है। वैसे अबुल फज़ल की रचना में बिहार और उनकी सीमा का जिक्र होना कथ्यान्कित है। मैं बिहार से इतर पाटलिपुत्र,अज़ीमाबाद, पटना सहित मगध, मिथिला, अंग, मत्स्य इत्यादि पर ध्यान न देकर सिर्फ बिहार और इस शब्द पर ही फ़ोकस करना चाहता हूँ। वास्तव में प्लासी का युद्ध (1757) बिहार में ही शुरू होकर यहीं ख़त्म हुआ था, तब बक्सर का युद्ध (1764) बिहार होने के लिए निर्णायक था। रेगुलेटिंग एक्ट 1774 के बाद पटना परिषद् ‘बिहार परिषद्’ कहलाया। इसके बाद 1894 में बिहार का नाम लिए पत्रिका ‘बिहार टाइम्स’ भी प्रकाशित हुआ, जिनमें डॉ. महेश नारायण और डॉ. सच्चिदानंद सिन्हा के सम्पादकत्व में बिहार को अलग राज्य बनाए जाने की मांग किया गया। ज्ञात हो, जब इंग्लैंड में डॉ. महेश नारायण और डॉ. सच्चिदानंद सिन्हा के द्वारा 19 वीं सदी के उत्तरार्द्ध में भारत के मानचित्र में ‘बिहार’ के मानचित्र का कल्पनाचित्र बनाकर दिखाये जाते हैं या ‘बिहार टाइम्स’ के नाम से ही 1894 में  पत्रिका तक निकलती है, तो ऐसे में 22 मार्च की तिथि ‘बिहार दिवस’ के लिए कतई उपयुक्त नहीं है।
बंग-भंग के समय (1905-06) बिहार प्रांत बनाये जाने की मांग ने और जोर पकड़ा। इसके बाद बिहार कांग्रेस कमिटी का भी गठन हुआ। मुहम्मद फखरुद्दीन, मजहरुल हक़ और दरभंगा महाराज ने बिहार प्रांत बनाये जाने के लिए अहम् किरदार निभाये। ऐसे में1906 का समय ही पुस्तिका प्रकाशन के साथ ही बिहार स्थापना का समय माना जाएगा, बिहार विधान परिषद् की स्थापना, बिहार के पूर्णिया ज़िला की स्थापना 1750 से 1800 के बीच होना 22.03.1912 को बिहार की स्थापना को गलत ठहराता है, तो क्या उस व्यक्ति (आदरणीय स्व. अटकू दर्फ़ी) की बात को अगर सही मान लूँ, जिन्होंने स्वतंत्रता सेनानी स्व. योगेश्वर प्रसाद ‘सत्संगी’ को कहा था कि वह (स्व. दर्फ़ी) 29.02.1908 को राय बहादुर की सहायता से पुरैनिया ज़िला कलक्टर को पत्र लिखा था, यथा-
BIHAR means B=Bharat warsh, I=India, H=Hindustan, A=Aaryawarta, R=Rishi rashtra.
This analysis for Bihar that Bihar is new province of British India.
‘मैसेंजर ऑफ आर्ट’ ने इसे प्रकाशित किया है।” वहीं ध्यातव्य है, R से आशय ‘ऋषिराष्ट्र’ है, रीवा या रेवाखण्ड नहीं ! ‘रीवा’ मध्यप्रदेश का एक जिला है, जबकि ‘रेवाखण्ड’ स्कन्दपुराण का एक अध्याय है, जिनमें ‘सत्यनारायण कथा’ संकलित है !
जिसतरह से हम 26 नवम्बर को गणतंत्र दिवस न मनाकर इसे 26 जनवरी को मनाते हैं। चूँकि 26 जनवरी से ही अपना संविधान और क़ानून क्रियान्वित हुआ। अब भले हम संविधान के लेखन कार्य पूर्ण होने के उपलक्ष्य में कुछ वर्षों से 26 नवम्बर को प्रतिवर्ष ‘संविधान दिवस’ मनाते हैं ! फिर ऐसे में बिहार स्थापना की वास्तविक तिथि क्या है ?

डॉ. सदानंद पॉल

एम.ए. (त्रय), नेट उत्तीर्ण (यूजीसी), जे.आर.एफ. (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार), विद्यावाचस्पति (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर), अमेरिकन मैथमेटिकल सोसाइटी के प्रशंसित पत्र प्राप्तकर्त्ता. गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स होल्डर, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, RHR-UK, तेलुगु बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, बिहार बुक ऑफ रिकॉर्ड्स इत्यादि में वर्ल्ड/नेशनल 300+ रिकॉर्ड्स दर्ज. राष्ट्रपति के प्रसंगश: 'नेशनल अवार्ड' प्राप्तकर्त्ता. पुस्तक- गणित डायरी, पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद, लव इन डार्विन सहित 12,000+ रचनाएँ और संपादक के नाम पत्र प्रकाशित. गणित पहेली- सदानंदकु सुडोकु, अटकू, KP10, अभाज्य संख्याओं के सटीक सूत्र इत्यादि के अन्वेषक, भारत के सबसे युवा समाचार पत्र संपादक. 500+ सरकारी स्तर की परीक्षाओं में अर्हताधारक, पद्म अवार्ड के लिए सर्वाधिक बार नामांकित. कई जनजागरूकता मुहिम में भागीदारी.