कविता

रोहित सरदाना याद बहुत आएगा

यह कैसी महामारी है आई
चारों तरफ तबाही है लाई
अच्छे अच्छे लोग भी चले गए
दे न सके जिनको अंतिम विदाई
आखिर एक दिन सबको ही है जाना
विदा हो गया अब रोहित सरदाना
लोगों के दुख को अपना समझता था
नाम था एक जाना पहचाना
न जाने मन में क्या क्या सपने थे
दो छोटी छोटी बेटियां हैं घर में
दहशत में है मेरे वतन के लोग
क्या होगा जी रहे इसी डर में
कैसे झेल पाएंगी वो दुख को
सबकी आंखें आज नम है
क्यों चला गया रोहित इतनी जल्दी
सबको इस बात का गम है
तुझे और तेरे सहयोग को यह देश
नहीं कभी भूल पायेगा
चला तो गया तू सरदाना
पर तेरा “दंगल”बहुत याद आएगा
— रवींद्र कुमार शर्मा

*रवींद्र कुमार शर्मा

घुमारवीं जिला बिलासपुर हि प्र