सामाजिक

जब जागो तब सवेरा

उगते सूरज का देश कहलाने वाला छोटा सा ,  बहुत सफल और बहुत कम समय में विकास करने वाला देश है जापान । परमाणु बम का असह्य दंश भी झेला है फिर भी मजबूती से खड़ा है । कुछ तो बात है जापानियों में जो हम भारतियों को उनसे सीखना चाहिए । भारत , क्षेत्रफल और जनसंख्या दोनो ही दृष्टि से जापान से बड़ा है । विकास के मामले में भी अग्रणी होना चाहिए किन्तु ऐसा नहीं है । ठीक है कि हमें कभी किसी से तुलना नहीं करनी चाहिए, पर अगर किसी में कोई अच्छाई नज़र आए तो उसे सहर्ष स्वीकार करना चाहिए इसमें कोई दोष नहीं । हम भारतीय अंग्रेजी भाषा और संस्कृति अपनाने के पीछे इस कदर पागल हैं कि अपनी संस्कृति और सभ्यता को ताक पर रख चुके हैं । अब भी देर नहीं हुई, जब जागें तब सबेरा । आइए जानें क्या-क्या खास है जापान में जो हममें नहीं ।
जापानी अपने देश के विरुद्ध अपशब्द कहना तो क्या सुन भी नहीं सकते । इस बात को सिद्ध करती है वह घटना जब स्वामी रामतीर्थ जापान में थे रेल यात्रा कर रहे थे ।  उन दिनों स्वामीजी का उपवास चल रहा था वे फलाहार करते थे । रेल एक स्टेशन पर रूकी और स्वामीजी फल तलाशने लगे, किन्तु उन्हे फल नहीं दिखे । निराशा से उन्होंने स्वयं से कहा ” लगता है जापान में फल ही नहीं मिलते ।” पास ही एक जापानी युवक खड़ा था, उसने स्वामीजी की बात सुनी तो दौड़कर गया और कहीं से फलों की टोकरी लेकर आया । स्वामीजी को उसने फल दिए जिसे देखकर स्वामीजी खुश हुए और फलों का मूल्य पूछा । युवक ने विनम्रता से कहा मैं फल बेचने वाला नहीं हूँ, इसलिए आपसे मूल्य नहीं ले सकता । स्वामीजी के बार-बार आग्रह करने पर युवक ने कहा “अगर आप मूल्य देना ही चाहते हैं तो कृपा करके इतना कीजिएगा कि अपने देश जाकर यह न कहिएगा कि जापान में अच्छे फल नहीं मिलते ।” स्वामीजी उस युवक की देशभक्ति के आगे नतमस्तक हो गए । उनके समक्ष एक साधारण सा जापानी युवक था जो अपने देश का असाधारण देशभक्त सैनिक था । ऐसा जज्बा कब आएगा हममें ? हो सकता है लोगों के मन में यह विचार आए कि देश ने हमारे लिए क्या किया ? तो याद रखिए हमें सिर्फ यही विचार करना है कि हमने ऐसा क्या अर्पण किया है जो हम अपेक्षा रखते हैं?
दूसरी सबसे बड़ी महत्वपूर्ण बात समय का महत्व बखूबी समझते हैं । जापान में अगर ट्रेन 20 सेकेंड भी लेट हो तो यात्रियों से क्षमा माँगी जाती है । दूसरों को हमारे कारण कोई असुविधा न हो इस बात का विशेष ध्यान रखा जाता है ।किसी समारोह में नियत समय पर पहुँचना इनके व्यवहार में शामिल है । यह सब उन्हें संस्कार में विरासत में मिला है ।
शिक्षा के मामले में तो जापान बहुत जागरूक है शायद यही वजह है कि आधुनिक टेक्नोलॉजीज में इस देश का कोई मुकाबला नहीं ।
इनकी सभ्यता पर नज़र डालें तो पाएँगे कि हड़ताल जैसी स्थितियों में  भी सड़क जाम करना, तोड़फोड़, आगजनी जैसी कोई घटना नहीं होती । विनम्रतापूर्वक सारी कारवाई होती है ।
स्वच्छता के मामले में जापान का कोई विकल्प ही नहीं है । आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि यहाँ के शहरों की नालियों के बहते हुए जल में मछलियाँ तक तैरती दिख जाती हैं । अपने या किसी के भी  घर के अंदर प्रवेश करने से पहले चप्पल – जूता बाहर उतारना अनिवार्य  है ।टॉयलेट जाने के लिए दूसरी चप्पल ही पहननी होती है ।सड़क में खुले आम नाक साफ जैसा काम घृणित है ऐसा कोई नहीं करता । घरेलू कचरे को अलग – अलग करके ही कूड़ेदान में डाला जाता है । यह सब वहाँ नियमित होता आ रहा है । स्वच्छता को तो जापान में ईश्वर की पूजा की तरह अहम  माना जाता है।सबसे रोचक बात जापान के स्कूलों में अपनी कक्षा की सफाई की जिम्मेदारी उस क्लास के बच्चों की ही होती है जो अपनी शिक्षक / शिक्षिका के साथ मिलकर करते हैं ।इस तरह स्कूलों में ही स्वच्छता का सबक सिखाया जाता है जो उनके आचरण में सम्मिलित हो जाता है, जिसमें उन्हे जीवनभर कोई शर्मिन्दगी नहीं होती । यह उच्च शिक्षा का खूबसूरत उदाहरण है, अनुकरणीय है ।
कोई अस्पताल में भर्ती हो तो वहाँ खुशनुमा सकारात्मक माहौल मरीज को जल्दी स्वस्थ करने में सहायक होता है ।
वैसे तो बहुत सी रोचक बातें हैं प्यारे जापान के विषय में जो उसे कुछ अलग प्रदर्शित करती हैं पर प्रमुख जानकारी यह है  कि यहाँ के लोगों के लिए मास्क पहनना कोई अनोखा कार्य नहीं है । यहाँ के अस्पतालों में तथा सर्दी खाँसी होने पर मास्क का प्रयोग किया ही जाता रहा है, सुरक्षा की दृष्टि से । आज मास्क उनके लिए हव्वा नहीं है ।
हमें भी अपनी जीवनशैली में बदलाव लाना ही होगा , अविलंब । यह सरकारी जिम्मेदारी नहीं है कि हमें निजी और सार्वजनिक तौर पर स्वच्छ रहना सिखाए, आत्मनिर्भर बनना सिखाए, जागरूक रहना सिखाए  । जो काम सरकार को करने चाहिए वह उन्हे करने दें, इन आधारभूत जिम्मेदारी को तो हम खुद उठाएँ । करके देखिए , अच्छा लगता है ।

— गायत्री बाजपेई शुक्ला

गायत्री बाजपेई शुक्ला

पति का नाम - सतीश कुमार शुक्ला पता - रायपुर, छत्तीसगढ शिक्षा - एम.ए. , बी एड. संप्रति - शिक्षिका (ब्राइटन इंटरनेशनल स्कूल रायपुर ) रूचि - लेखन और चित्रकला प्रकाशित रचना - साझा संकलन (काव्य ) अनंता, विविध समाचार-पत्रों में ई - पत्रिकाओं में लेख और कविता, समाजिक समस्या पर आधारित नुक्कड़ नाटकों की पटकथा लेखन एवं सफल संचालन किया गया । सम्मान - मारवाड़ी युवा मंच आस्था द्वारा कविता पाठ (मातृत्व दिवस ) हेतु विशेष पुरस्कार , " वृक्ष लगाओ वृक्ष बचाओ "काव्य प्रतियोगिता में विजेता सम्मान, विश्व हिन्दू लेखिका परिषद् द्वारा सम्मानित आदि ।