कविता

फिर मिलेंगे

धीरज धरो
न बेचैन हो,
मिलने की खातिर
न ही अधीर हो।
समय मुश्किल है
हालात प्रतिकूल है,
पर ये सब भी तो
स्थाई तो नहीं है।
जीवन है तो सुख दु:ख
खट्टे मीठे अनुभव तो
होते ही रहेंगे,
अच्छे बुरे दिन यूँ ही
आते जाते रहेंगे।
अब इनसे घबराना कैसा?
ये सब तो जीवन का हिस्सा है
आज दूर दूर ही सही
कल को फिर तो मिलेंगे।

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921