कविता

खुद का पता

मेरे पिता का एक पता है
मेरे पति का भी
एक दिन मेरे भाई
और पुत्र के भी पते होंगें
पर मेरा निजी कोई पता नहीं
इन सब पतों पर
जहाँ भी मैं रहती आई
लापता रही
मैं सबसे छोटी इकाई पर
अपना नाम लिखा देखना
चाहती हूँ मैं चाहती हूँ
एक पते पर मेरा घर
समय हमें कुछ भी
अपने साथ ले जाने की
अनुमति नहीं देता,
पर अपने बाद
अमूल्य कुछ छोड़ जाने का
पूरा अवसर देता है।
— डिम्पल राकेश तिवारी

डिम्पल राकेश तिवारी

वरिष्ठ गीतकार कवयित्री अवध यूनिवर्सिटी चौराहा,अयोध्या-उत्तर प्रदेश