कविता

प्राकृतिक सुंदरता

सूरज की रोशनी जब
धरती पर आई ,
चारों दिशाएं देख कर मुस्कुराई,
जैसे नव जीवन में खुशियां छाई
उपवन की सुंदरता देखकर
चिड़िया ने भी सुरताल लगाई,
सूर्य ने लालिमा को फैलाया
दिन -रात का नियम बनाया।
रूप बदलकर मौसम आए
जीवन में खुशियां लाए।
शरद ऋतु की ठंडक लेकर
धरती पर अपना पैगाम लाए।
कभी फूलों की सुंदरता को लेकर,
बसंत ऋतु में खूब मुस्कुराए।
सूरज की क्रोध किरणों को देखो,
गर्मी का मौसम यह लेकर आई।
सौंदर्य पूर्ण इस धरा पर
कई जीवो का निर्माण हुआ।
प्राकृतिक सौंदर्य को
कई रूपों में है सजाए,
कोई धरा पर कोई
आसमान में घूम आए।

— सुन्दरी अहिरवार ‘तेजस्वनी’

सुन्दरी अहिरवार 'तेजस्वनी'

भोपाल-मध्यप्रदेश