कविता

कविता

चराग़ उमीदों के नये – जला गाया कोई दिल में
मिला तो नगी ख़ुद – लेकिन अहसास जगा गया दिल में
शिकवा हम को नही कोई – ना ही शिकायत किसी से
मुक़दर में लिखा था जो – बसा गया कोई दिल में
मिसें गे फिर कभी – अगर मिलना लिखा है क़िसमत में
नेमत यिह इनतेज़ार की – बस गई है हमारे दिल में
बढ़े नाज़ों से हम ने तो – पाला था अपनी मोहब्बत के दरद को
दरद अपने दिल के भी – बसा गया हमारे दिल में
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परेशान हम बुहत थे – पैहले ही जुदाई के ग़म से
बे मज़ा और ज़िनदगी में – मिला गया कोई दिल में
वादे जो किये थे आप ने – भुला दिये सब आप ने
जफ़ा अपने दर्द की भी – बसा गया हमारे दिल में
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पथर बनाया अपने दिल – और मोहब्बत की आप से — मदन
बिना ख़ौफ़ लैहरों के – ढाल कश्ती को दिया भँवर में
मोहब्बत किस क़दर है हम को – अहसास हमारे जानते हैं
बदल भी जाए अगर नज़रिया – तो दरद बस के रैह जाते हैं दिल में

मदन लाल

Cdr. Madan Lal Sehmbi NM. VSM. IN (Retd) I retired from INDIAN NAVY in year 1983 after 32 years as COMMANDER. I have not learned HINDI in school. During the years I learned on my own and polished in last 18 months on my own without ant help when demand to write in HINDI grew from from my readers. Earlier I used to write in Romanised English , I therefore make mistakes which I am correcting on daily basis.. Similarly Computor I have learned all by my self. 10 years back when I finally quit ENGINEERING I was a very good Engineer. I I purchased A laptop & started making blunders and so on. Today I know what I know. I have been now writing in HINDI from SEPTEMBER 2019 on every day on FACEBOOK with repitition I write in URDU in my note books Four note books full C 403, Siddhi Apts. Vasant Nagari 2, Vasai (E) 401208 Contact no. +919890132570