सामाजिक

महंगाई ने बिगाड़ा गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों का बजट

गोंदिया – भारत में आज से 47 वर्ष पहले सन 1974 में एक हिंदी फीचर फिल्म आई थी, रोटी कपड़ा और मकान उसमें एक हिट गीत था, बाकी कुछ बचा तो महंगाई मार गई, महंगाई मार गई। साथियों, उस दौर में कुछ ऐसा माहौल था कि लोग महंगाई से बहुत परेशान थे और यह गीत जन-जनार्दन की आवाज बन गया था। हर गली कूचे में यह गीत छा गया था जिससे भारत सरकार भी परेशान हो गई थी और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया साइट के अनुसार सरकार ने कुछ अर्से तक प्रतिबंधित भी कियाथा। साथियों… बात अगर हम आज की करें तो 47 साल पुराना जमाना फिर आ गया और आज गरीब और मध्यमवर्गीय परिवार कोरोना काल में बोल रहे हैं, बाकी कुछ बचा तो महंगाई मार गई, महंगाई मार गई क्योंकि बढ़ती महंगाई ने रसोई का बजट बिगाड़ दिया है…। साथियों, बात अगर हम जुलाई 2021 माह की शुरुआत  की करें तो एलपीजी सिलेंडर 25.50 रुपए,अमूल दूध 2 रू बैंकिंग सर्वश्रेष्ठ चार्ज, पेट्रोल-डीजल, खाद्य तेल महंगा होकर कोरोना संक्रमण के बीच अब जुलाई की शुरुआत से ही आम आदमी को महंगाई की मार झेलनी पड़ रही है…। साथियों बात अगर हम पेट्रोल डीजल की के रेट में वृद्धि की करें तो आज दिनांक 4 जुलाई 2021 को भी पेट्रोल डीजल का रेट बढ़ा है और श्रीगंगानगर जिले में पेट्रोल के दाम 110.77 रुपये प्रति लीटर जा पहुंचे हैं ।इसके साथ डीजल के दाम भी 102.60 रुपये प्रति लीटर हो गए हैं।…साथियों बात अगर हम लॉकडाउन औरमहंगाई की तरह तो, पिछले डेढ़ साल में दो बार लगे लॉकडाउन में आम आदमी की कमाई घटकर आधी हो गई। वहीं खर्च बढ़कर दोगुना तक पहुंच गया। ऐसे में मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए घर चलाना मुश्किल हो गया है। पेट्रोल-डीजल के अलावा रसोई गैस की कीमतें लगातार बढ़ती जा रही हैं। वहीं घर में उपयोग होने वाली खाद्य सामग्री के बढ़े दामों ने भी लोगों की कमर तोड़ दी है। बीते छह माह में ही पेट्रोल, डीजल और गैस की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि हुई है। इसके कारणसब्जियों, फलों, दालों और अनाजों के दामों में भी बीस से तीस फीसदी का उछाल आया है। महंगाई का असर सीधे आम आदमीके घर के बजट पर पड़ रहा है। लाकडाउन होने के कारण कई सामान के दाम बढ़ते चले गए। उसे न तो सरकार रोक पाई और ना ही प्रशासन। महंगाई के कारण लोगों के घरों का बजट बिगड़ गया और सामान की कालाबाजारी के कारण ही आज सभी सामान के दाम बढ़ गए। कोरोना के कारण जिले स्तर पर लाकडाउन भी किया था लगभग डेढ़ वर्षो से करोना संक्रमण के चलते लोगों का जीवन अस्तव्यस्त हो गया है। वहीं आर्थिक व्यवस्था भी चरमरा गई है, लेकिन बढ़ते कोरोना संक्रमण और लाकडउन के बीच आम जनता को महंगाई से भी दो-चार होना पड़रहा है। स्थिति यह है कि लाकडाउन के चलते कई लोगों की नौकरी हाथ से चली गई और कई बहुत सारे लोग बेरोजगार हो गए। वही सामान के कालाबाजारी के चलते दामों पर भी इसका असर पड़ा है और सामान के दाम दोगुने हो गए हैं। यही कारण है कि आम जनता महंगी दामों पर सामान लेने को मजबूर हो रहे हैं और महंगाई के चलते लोगों की आर्थिक व्यवस्था जो है चरमरा गई है और लोगों के घर का बजट बिगड़ गया है…। साथियों बात अगर हम महंगाई की करें तो, गृहणियों का कहना है कि बढ़ती महंगाई में खाद्य तेलों के भाव आसमान छू रहे हैं, ऐसे में किचन का बजट पूरी तरह से बिगड़ गया है। खास करके हर खाद्य सामग्रियों पर इन दिनों महंगाई की मार देखने को मिल रही है महिलाएं कहती हैं कि किसी तरह वह कटौती करके अपने किचन के बजट को संभाल रही हैं। वहीं कामकाजी महिलाएं कहती हैं कि बढ़ती महंगाई ने उनकी कमर तोड़ दी है। इस संक्रमण काल में डॉक्टर पौष्टिक भोजन करने की सलाह देते है पर बढ़ती महंगाई में 2 जून की रोटी का जुगाड़ बड़ी मुश्किल से हो रहा है। ऐसे में फल-फूल और पौष्टिक भोजन करने की बात ही छोड़िए, किचन का बजट बढ़ती महंगाई के कारण निम्न व मध्यम वर्ग के लोगों का जीना मुहाल हो गया है पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमत ने सभी की बेचैनी बढ़ा दी है तो रसोई गैस के दाम में बढ़ोत्तरी की वजह से महिलाओं के किचन का बजट बिगड़ गया है। अनलाक होने के बाद भी महंगाई कम होने का नाम नहीं ले रही है। पेट्रोल डीजल के रेट में बढ़ोतरी का असर महंगाई पर पड़ा है। पेट्रोल के दाम बढ़ने के कारण छोटे वाहन चालको की परेशानी बढ़ गई है। हर तरफ महंगाई बढ़ने के कारण लाोगें को जेब ढीली करनी पड़ रही है। आम लोगों का कहना है कि मंहगाई बहुत बढ़ गई है। अब तो घर चलाना भी बहुत मुश्किल हो गया है। बाजारों में सभी सामान के दाम बढ़े है चाले जो भी लो सभी चीजे मंहगई हो गई है चाहे खाने के तल दाल,चावल, आटा, गेहू, मसाला, जो भी सामान लो वह महंगा ही हो गया है। लाकडाउन खुलने के बाद भी सभी सामान के दाम बढ़े हुए मिल रहे हैं। हमको तो लग रहा था कि लाकडाउन के कारण सामान ज्यादा दाम में मिल रहे हैं।लाकडाउन खुलने के बाद सस्ता मिल जाएगा परंतु यह सब गलत साबित हो रहा है, लाकडाउन के बाद भी सभी चीजो के दमा महंगे ही हैं। आखिर ऐसे में हम घर कैसे चलाएं? यह समझ नहीं आ पा रहा। अतः उपरोक्त पूरे विवरण का गर्म अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम देखेंगे कि बढ़ी हुई महंगाई ने गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों के रसोई बजट बिगाड़ दिए हैं और लाभ अदाओं के कारण आम आदमी की आमदनी आदि हुई है और महंगाई में खर्च बढ़कर दोगुना हो गया है और हम यही कह सकते हैं कि बाकी कुछ बचा तो महंगाई मार गई जिसे इस तरह दुखी होकर गाया जा सकता है।

एक हमें कोरोना से लड़ाई मार गई।
दूसरी लॉकडाउन में आमदनी मार गई।।
तीसरी खर्चे की लड़ाई मार गई।
चौथी पारिवारिक सदस्यों की जुदाई मार गई।।
बाकी कुछ बचा तो महंगाई मार गई।
महंगाई मार गई महंगाई मार गई।।

— एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी 

*किशन भावनानी

कर विशेषज्ञ एड., गोंदिया