सामाजिक

ओलम्पिक खेलों के इतिहास में पहली बार

टोक्यो ओलम्पिक का भव्य समापन हो चुका है और अब पेरिस ओलम्पिक की तैयारी शुरू हो गयी है। इस बार के ओलम्पिक खेल भारत के लिए मील का पत्थर साबित होने जा रहे हैं क्योंकि सभी खेलों में भारतीय खिलाड़ियों ने अपनी शानदार उपस्थिति दर्ज करायी है। इस बार ओलम्पिक खेलों के इतिहास में बहुत कुछ पहली बार हुआ है, यही कारण है कि पहली बार देश के लिए पदक जीतने वाले खिलाड़ियों के हक में आगामी 15 अगस्त तक उत्सव मनाया जा रहा है। देश के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार अपने खिलाड़ियों का भव्य स्वागत कर रही है। देश के इतिहास में पहली बार सत्तारूढ़ दल बीजेपी की संसदीय दल की बैठक में ओलम्पिक खेलों में भाग लेने वाले सभी खिलाड़ियों का पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सभी सांसदों ने अपनी सीटों पर खड़े होकर तालियां बजाकर अभिवादन किया। दिल्ली हवाई अडडे पर जब देश के पदकवीर खिलाड़ी उतरे तो उनके समर्थकंों व प्रशंसकों ने ढोल नगाड़ों के साथ नाच गाकर उनका स्वागत किया और फिर उनका सम्मान भी किया गया।
देश के इतिहास में पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई संसदीय दल की बैठक में वर्तमान खेल मंत्री अनुराग ठाकुर व पूव खेल मंत्री किरन रिजिजू ने ओलम्पिक खेलों में भारतीय खिलाड़ियों के प्रदर्शन व किस प्रकार से उनकी तैयारियों को अंजाम तक पहुंचाया गया का विस्तृत प्रस्तुतीकरण सांसदों के समक्ष किया। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में सभी सांसदों से अपने क्षेत्र में खेलों के विकास के लिए काम करने को कहा है। उन्होंने अपने सांसदों से कहा कि आप सभी लोग अपने क्षेत्र में अधिक से अधिक खेल प्रतियोगिता व कार्यक्रम आयोजित करें, प्रतिभावान सभी खिलाडियों की खोज करें और उनके घर जाकर उनकी समस्याओं को हल करने का प्रयास करें।
नई दिल्ली के अशोका होटल में जब भव्य कार्यक्रम का आयोजन हो रहा था उसमें युवा एवं खेल मामलों के मंत्री अनुराग ठाकुर ने विस्तार के साथ बताया कि टोक्यो ओलम्पिक-2020 क्या कुछ पहली बार हुआ है। ओलम्पिक खेलों मे पहली बार बहुत कुछ हुआ है।
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडु ने राज्यसभा में ओलम्पिक खिलाड़ियों की सराहना करते हुए बताया कि खिलाड़ियों के बेहतरीन प्रदर्शन से खेल के एक नये युग को गति मिली है। यह खेलों की राष्ट्रीय जागृति का पहला क्षण है, अब हमें रुकना नहीं है। ओलम्पिक के 121 वर्षों के इतिहास में पहली बार अब तक का सबसे सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन रहा। भारत टॉप 50 में 47 वें स्थान पर पहुंच गया। हमारा लक्ष्य अब टाप-10 में आने का होना चाहिए। ओलम्पिक में पहली बार 120 सदस्यीय भारतीय दल में 55 खिलाड़ी क्वार्टर फाइनल तक पहंुचे ऐसा पहली बार हुआ कि हमारे पांच खिलाड़ी स्वर्ण पदक के लिए खेले। पदक के करीब तक पहुंचना निश्चित रूप से हमारे खिलाड़ियों की कड़ी मेहनत का नतीजा है। पहली बार हमारे 40 खिलाड़ी सेमीफाइनल तक पहंुच गये। यह नई खेल क्रांति का उदय है। 2024 में पेरिस ओलम्पिक में भारत टाप-10 में पहुंचने का लक्ष्य हासिल करेगा। राज्यसभा सदस्यों ने भी खिलाड़ियों का मेजें थपथपाकर स्वागत व अभिवादन किया।
ओलम्पिक खेलों के इतिहास में पहली बार भारत का सबसे बड़ा 128 सदस्यीय दल गया। एथलेटिक्स में 121 साल का इंतजार नीरज ने स्वर्ण पदक जीतकर पूरा किया। जब नीरज ने स्वर्णिम भाला फेंका, वैसे ही देशभर में जश्न व खुशी का वातावरण छा गया, बहुत से लोग टीवी के सामने ही भावविभोर होकर खुशी के आंसू झलकाने लगे। देश का पूरा वातावरण ही बदल गया था।
टोक्यो अंोलम्पिक में पहली बार नारी शक्ति का ऐतिहासिक डंका बजा। 121 साल के इतिहास में पहली बार ओलम्पिक खेलों में लैंगिंक समानता देखने को मिली। खेलों में महिला 49 प्रतिशत और पुरूष खिलाड़ियों की 51 प्रतिशत भागीदारी रही। ओलम्पिक खेलों में भारत की बेटियों का प्रथम योगदान 42.85 प्रतिशत रहा। भारत ने कुल सात पदक जीते जिसमें तीन बेटियों के नाम रहे। पहली बार देश के युवा खिलाड़ियों व खेल प्रेमियों ने जाना कि गोल्फ भी कोई खेल होता है। हालांकि भारत की बेटी अदिति कुछ कारणों से चौथे नंबर पर रहीं, लेकिन उन्होंने अपने प्रदर्शन से पूरी दुनिया को आश्चर्यचकित कर दिया और भारत में लोगों की तो दिल की धड़कनें ही रुक गयी थीें। अदिति ने अपनी स्पर्धा में पहली बार 60 देशों के प्रतिभागियों को पछाड़ दिया। वाह, क्या गजब का खेल खेला था अदिति ने। इसी प्रकार का प्रदर्शन महिला हाकी टीम ने भी किया। ओलम्पिक खेलों के इतिहास पहली बार महिला हाकी टीम अंतिम चार में पहंुची और बेहद कांटे के मुकाबले में वह ब्रिटेन की शक्तिशाली टीम से हार गयीं। बीच के खेल में जिस प्रकार से भारतीय महिला खिलाड़ियों ने एक के बाद एक तीन गोल दागे थे उससे एकबारगी ब्रिटिश टीम सकपका गयी थीं। यह मैच इतिहास के स्वर्णिम पृष्ठोें मे याद रखा जायेगा। यदि हमारे कुछ खिलाड़ी किसी प्रकार से अपने कुछ मैच न हारे होते, तो आज हमारे पदकों की संख्या दोहरे अंको में भी जा सकती थी।
लेकिन जो भी हो आज पूरा भारत अपने पदकवीरों की विजय का अभिवादन कर रहा है। ओलम्पिक खेलो के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहले मन की बात में ओलम्पिक खेलों का उल्लेख किया और उसके बाद टोक्यो रवाना होने से पहले भी अपने दल के साथ बैठक कर उनका मनोबल बढ़ाया, परिणाम आज हम सभी के सामने है।
ओलम्पिक खेलों के इतिहास में पहली बार देश के प्रधानमंत्री ने ओलंिम्पक खेलों में भाग ले रहे सभी प्रतिभगियों का मनोबल बढाया। वे देश के ऐसे पहले पीएम बन गये हैं जिन्होंने खेलों में भाग लेने वाले हर जीते खिलाड़ी को जहां फोन पर बात करके बधाई दी, वहीं दूसरी ओर यदि कोई हार भी गया है तो उसे भी फोन कर उसका साहस और मनोबल बढ़ाया तथा अगले मैच के लिए शुभकामनाएं दी।
2014 के बाद मोदी सरकार ने भारत में खेलों के परिदृश्य को ही बदल दिया है। सबसे अच्छी बात यह है कि भारत ने हर क्षेत्र में हर प्रकार के खेल में अच्छा प्रदर्शन किया है। जिससे यह स्पष्ट हो गया है कि अब भारत में केवल एक दो ही ऐसे खेल नहीं है जिसमें खिलाड़ी विजेता बनकर उभर रहे हैं। अब भारत हर खेल में विजेताओं को तैयार कर रहा है। खिलाड़ियों के प्रदर्शन के पीछे पग पग पर उनके समर्थन और उत्साहवर्धन के लिए मोदी सरकार का भी बड़ा योगदान रहा है।
आज भारत का खेल बजट 2826.92 करोड़ है, जो 2013 के 1219 करोड़ रुपये के मुकाबले दोगुने से भी अधिक है। मोदी सरकार ने आर्थिक और मनोवैज्ञानिक रूप से खिलाड़ियों को हमेशा मजबूती दी, जिसका सकारात्मक परिणाम टोक्यो ओलम्पिक में देखने को मिला। इस ओलम्पिक की विशेषता रही कि खिलाड़ियों ने देश का समर्थन महसूस किया। प्रधानमंत्री मोदी ने केवल विजेताओं के साथ ही बात नहीं की, बल्कि उन्होंने बल्कि हारने पर भी उन्होंने उत्साह बढ़ाया। भारत की महिला हाकी टीम के साथ उनकी बात भावुक करने वाली थीं।
खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने सम्मान समारोह में बताया कि कोरोना की भयंकर महामारी के दौरान भी पीएम नरेंद्र मोदी ने व्यक्तिगत रुचि लेते हुए ओलम्पिक की तैयारी में कोई कमी नहीं आने दी और खिलाड़ियों व खेल संघों के साथ वे लगातार संपर्कों में रहे। यही कारण है कि आज भारत का युवा एक बार फिर भारत को विश्वगुरू बनाने के लिए निकल पड़ा है।
भारत के खेल परिदृश्य में आये बदलाव को महसूस करते हुए पूर्व ओलम्पियन अंजू बाबी जार्ज ने बताया कि पहले खेल मंत्री तक खिलाड़ियों से केवल औपचारिक बात ही करते थे। ओलम्पिक विलेज में जहां खिलाड़ियों को ट्रेनिंग के लिए रखा जाता था, वहीं केवल दर्शक बनकर घूूमने जाते थे। मेडल जीतने पर पीएम केवल बधाई दे दिया करते थे, लेकिन घर वापसी पर खेल मंत्रालय का एक भी आदमी मिलने नहीं आता था। ऐसा इसलिए था क्योंकि बाकी खेलों में ग्लैमर नहीं था लेकिन पीएम मोदी ने इस परंपरा को पूरी तरह से बदल दिया है। ओलम्पिक खेलों के इतिहास में खिलाड़ियों के परिवार के लोगों व उनके समर्थकों ने पहली बार अपने घरों, मोहल्लों आदि में बड़े टीवी सेट लगाकर सभी लोगों के साथ बैठकर खेलों का आनंद लिया। ओलम्पिक खेलों में पहली बार भाला फेंक में नीरज के स्वर्ण पदक जीतने पर महाराणा प्रताप की वीरता की भी याद आ गयी और महिला हाकी की टीम की पराजय पर एक बार फिर गाया- खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी। इस प्रकार पहली बार ओलम्पिक खेलों के इतिहास में भारत माता की जय, वंदेमातरम के नारे सुनने को मिले और राष्ट्रवाद का उदय भी हुआ।
— मृत्युंजय दीक्षित