राजनीति

संसद में हंगामा, विपक्ष हुआ बेनकाब

संसद का मानसून सत्र-2021 विपक्ष के हंगामे की भेंट चढ़ गया और निर्धारित समय से दो दिन पहले ही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गया। संसद के मानसून सत्र में माननीय सांसदों ने जिस प्रकार से अपने पद का दुरुपयोग किया है, वह अत्यंत ही शर्मनाक है। संसद सत्र में सांसदों ने जिस प्रकार से राज्यसभा में सभापति के आसन की ओर पर्चे फेंके, रूलबुक फाड़कर फेंकी और टेबल की मेज पर नाचा गया और सांसदों की ओर से तालियां बजायी गयीं, और तो और मार्शलों के साथ मारपीट की गयी तथा महिला मार्शल के साथ भी अभद्रता की गयी वे लोकतंत्र के लिए सबसे शर्मनाक क्षण थे। उससे भी बड़ा दुर्भाग्य यह है कि देश का विपक्ष अपने कृत्यों के लिए मांफी मांगना तो दूर वह हंगामे को जायज ठहराते हुए कह रहा है कि वह इस प्रकार की हरकतों को सौ बार अंजाम देगा।
स्ंासद का मानसून सत्र अनिश्चितकाल के लिए स्थगित होने के बाद विपक्ष ने अपने बचाव में जो तर्क दिये वे भी अब बेनकाब हो चुके हैं। कांग्रेस व विपक्षी दलों का कहना है कि संसद में पहली बार सांसदों की पिटाई की गयी और बाहर से मार्शल बुलाये गये यह मार्शल आरएसएस के थे। संसद में लोकतंत्र की हत्या की जा रही है आदि-आदि। कांग्रेस नेता राहुल गांधी जम्मू कश्मीर के दौरे पर जाकर कहते है कि उन्हें संसद में बोलने नहीं दिया जा रहा है। विपक्ष के सभी आरोपों को बेनकाब करने के लिए सरकार के मंत्री मैदान में उतरे और उन्होंने संसद सत्र के पहले दिन से घट रही घटनाओं का सिलसिलेवार विवरण देकर विपक्ष को पूरी तरह से बेनकाब कर दिया है। सरकार के सभी मंत्रियों ने विपक्ष पर ऐसी कड़ी कार्यवाही करने की मांग की है जिससे ये लोग ऐसी शर्मनाक हरकतें करने से पहले सौ बार सोंचे।
यह बात सही भी है कि जब हम आजादी के 75वें वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं उस समय भी माननीयों का आचरण लगातार बिगड़ता ही जा रहा है और विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र पूरी दुनिया के सामने शर्मसार हो रहा है। टीवी चैनलों पर जिस प्रकार से विरोधी दलों के प्रवक्ता बहस कर रहे थे उसमें वे लोग घटना की निंदा तक नहीं कर रहे थे और न ही अफसोस व्यक्त कर रहे थे। यूपी की समाजवादी पार्टी का एक प्रवक्ता तो बहस में पूरी तरह से बहक ही गया था और पूरे घटनाक्रम को भी राजनीति के चश्मे से जोडने लग गया। सपा प्रवक्ता ने कहा कि उन्नाव और हाथरस की बेटी को अभी तक न्याय नहीं मिला किसी बीजेपी नेता ने हाथरस का दौरा नहीं किया। वह हंगामे की सारी जिम्मेदारी सरकार पर ही डालने लग गया। समाजवादी प्रवक्ता के विचार बहुत ही ओछे, शर्मनाक व राजनैतिक दुर्भावना से प्रेरित विकृत मानसिकता के लग रहे थे। विरोधी दलों के प्रवक्ता राहुल गांध्ंाी के बयानों का शर्मनाक तरीके से समर्थन ही कर रहे थे। एक प्रवक्ता ने कहा कि सरकार ने यह वीडियो जानबूझकर विपक्षी दलों की आवाज को दबाने के लिए तथा महिला सुरक्षा और सशक्तीकरण से जोडने का प्रयास बता दिया।
विपक्ष को तो यह लग रहा है कि उसने संसद का मानसून सत्र पूरी तरह से बेकार करके आधी जंग जीत ली है, यही विपक्ष की भूल भी साबित हो सकती है। संसद में जिस प्रकार सांसदों ने महिला मार्शल के साथ दुर्व्यवहार किया, उसे अब बीजेपी अगले विधानसभा चुनावों में विपक्ष के खिलाफ एक बड़े हथियार के रूप में अवश्य इस्तेमाल करेगी। विपक्ष ने एक फर्जी जासूसी केस बढ़ती महंगाई व बेरोजगारी तथा फर्जी किसानों के मुददों को उठाते हुए सदन नहीं चलने दिया। विपक्ष ने प्रधानमंत्री को नये मंत्रियों का परिचय तक नहीं कराने दिया जिससे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी यह कहने का अवसर मिल गया कि कांग्रेस व पूरा विपक्ष दलितों, पिछड़ों, किसानों व गरीबों का घोर विरोधी है तथा वह केवल पाखंड करता है। संसद का मानसून सत्र समाप्त होकर अब सड़क तक पहुंच गया है और जनता का पैसा बर्बाद हो चुका है। विपक्षी दलों का यह आरोप बेबुनियाद व पूरी तरह से झूठा है कि सरकार ही नहीं चाहती कि संसद का मानसून सत्र ठीक से चले और चर्चा हो सके। संसद का मानसून सत्र जिस प्रकार से चला उससे विपक्ष ही बेनकाब हो रहा है। विपक्षी सांसदों ने यह पूरी तरह से तय कर लिया था कि उन्हें इस बार यह संसद सत्र नहीं चलने देना है। संसद से जो वीडियो जारी हुए हैं उसके बाद वह पूरी तरह से बेनकाब हो चुका है तथा अब वह अपनी सफाई में जो भी तर्क दें वह हाथ से निकल चुका है।
इस बार लोकसभा 96 घंटे चलनी थी लेकिन लोकसभा में सिर्फ 21 घंटे ही काम हो सका। जरा सोचिए, अगर हम सभी किसी जगह नौकरी करते हैं और अगर हम लोग वहां पर कागज फाड़कर उछालें, तेज आवाज में बोलें और तोड़ फोड़ करें तथा खाली समय बैठे रहें, तब हम लोगोें की नौकरियां चली जाती हैं, वेतन काट लिये जाते हैं। साधारण नौकरियों में भी यदि कोई कर्मचारी व अधिकारी अनुपस्थित हो जाता है, तो उसका वेतन काट लिया जाता है। लेकिन देश के इन अमर्यादित सांसदों के साथ ऐसा कुछ नहीं होता। लेकिन अब समय आ गया है कि ऐसे सभी हंगामेबाज सांसदों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्यवाही की जाये, जो देश के सामने आम जनता के बीच एक मिसाल कायम कर सके। अगर इन हंगामेबाज सांसदों को यहीं पर नहीं रोका गया, तो यही लोग आने वाले दिनों में संसद व राज्य विधानसभाओं में किसी बड़ी वारदात को भी अंजाम दे सकते हैं।
संसदीय इतिहास व परम्परा में कहा जाता है कि राज्यसभा में बहुत ही उच्च क्वालिटी की बहस होती है, चर्चा होती है, लेकिन इसके विपरीत इस बार राज्यसभा में उच्च क्वालिटी का हंगामा देखा गया। कांग्रेस व विपक्षी दल यह आरोप लगा रहा है कि लोकतंत्र की हत्या की जा रही है, यह पूरी तरह से झूठ पर आधारित बयानबाजी है। संसद में हंगामा कर रहा है विपक्ष और सरकार पर आरोप लगा रहा है।
वर्तमान विपक्ष का आचरण और उसकी सोच पूरी तरह से घटिया मानसिकता की हो चुकी है। विपक्ष ने सोचा था कि वह पेगासस के फर्जी जासूसी मामले के बहाने पीएम नरेंद्र मोदी की सरकार को हिलाकर रख देगा, वह बेनकाब हो चुका है। कोरोना काल में भी विपक्ष ने लगातार अफवाहों व झूठ का बाजार गर्म रखा लेकिन वह उसमें भी सरकार का कुछ नहीं बिगाड़ सका। विपक्ष बहुत बैचेन व उग्र हो रहा है तथा उसकी सारी साजिशें बेनकाब व प्रयास विफल होते जा रहे है। पेगासस फिलहाल झूठ का पुलिंदा ही निकलने जा रहा है। यही कारण है कि आज विपक्ष मोदी रोको के नाम पर गलतियां पर गलतियां करता जा रहा है।
संसद व राज्य विधानसभाएं हंगामे के लिए नहीं होती बल्कि यह चर्चा के लिए हैं अगर चर्चा की जगह हंगामा होगा तो ये लोकतंत्र का गला घोंटने जैसा है। संसद के मानसूत्र के बेकार हो जाने को विपक्ष भले ही अपनी जीत मान सकते हैं। लेकिन यह लोकतांत्रिक मर्यादाओं और परंपराओं की बड़ी हार है। सदन की कार्यवाही में राज्यसभा के सभापति एम वैंकेया नायडु रो पड़े लोकतंत्र में इससे बड़ी शर्मनाक बात और क्या हो सकती है। संसद लोकतंत्र का सर्वोच्च मंदिर होता है और इसकी पवित्रता पर आंच नहीं आनी चाहिए। राज्यसभा के चेयरमैन नायडू जी बहुत ही सहज, सरल और भावुक व्यक्ति हैं। विरोधी दलों की हरकतों से उनका भावुक हो जाना बहुत ही शर्मनाक पल रहा। संसद में विपक्ष ने लोकतांत्रिक मजबूरियों के चलते ही ओबीसी विधेयक को पारित कराया।
चाहे जो हो संसद के मानसून सत्र में विरोधी दलों के सांसदों ने जिस प्रकार का घटिया आचरण किया वह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण तथा विपक्ष का पूरी तरह से नैतिक पतन है और विपक्षी सांसदों पर कड़ी से कड़ी कार्यवाही होनी चाहिये, जो एक नजीर बन जाये। आगामी विधानसभा चुनावों में विपक्ष ने सदन में जो किया है उसके सभी वीडियो जनता के बीच भी जाने चाहिए ताकि जनता भी इन माननीयों पर कुछ विचार करे।
— मृत्युंजय दीक्षित