कविता

सिर्फ वंदे मातरम !

वन्दे मातरम,
वन्दे मातरम।
काम के पैसे,
मिलते कम,
वन्दे मातरम;
रहन-सहन है बेदम,
पर कहूँ वन्दे मातरम।
फल, अन्न, शुद्ध जल,
मिलते नहीं हरदम;
कहूँ फिर भी,
वन्दे मातरम,
वन्दे मातरम।
खेत लोगों ने
हड़प लिया, हे माँ,
साजिश रच घर भी
खरीद लिया, माँ!
शिक्षक हूँ, पर पुकारते
नियोजित सभी,
कम वेतन है,
पर मिलते कभी-कभी ।
ऐसे में पढ़ते हैं,
वन्दे मातरम,
गाते हैं, पढ़ाते हैं,
वन्दे मातरम!
नियोजित भात,
नियोजित दाल,
औ’ नियत साइज का
पापड़ डाल ।
खाते-खिलखिलाते,
गाते वन्दे मातरम,
समान वेतनमान नहीं,
हनुमान हम।
तुमि विद्या, तुमि धर्म,
तुमि हृदय, तुमि मर्म;
तुमि हि प्राण-शरीरे,
मोती-हीरे।
हम पर
दया करो मातरम,
शस्य श्यामला
मातरम,
वन्दे मातरम,
वन्दे मातरम।

डॉ. सदानंद पॉल

एम.ए. (त्रय), नेट उत्तीर्ण (यूजीसी), जे.आर.एफ. (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार), विद्यावाचस्पति (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर), अमेरिकन मैथमेटिकल सोसाइटी के प्रशंसित पत्र प्राप्तकर्त्ता. गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स होल्डर, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, RHR-UK, तेलुगु बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, बिहार बुक ऑफ रिकॉर्ड्स इत्यादि में वर्ल्ड/नेशनल 300+ रिकॉर्ड्स दर्ज. राष्ट्रपति के प्रसंगश: 'नेशनल अवार्ड' प्राप्तकर्त्ता. पुस्तक- गणित डायरी, पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद, लव इन डार्विन सहित 12,000+ रचनाएँ और संपादक के नाम पत्र प्रकाशित. गणित पहेली- सदानंदकु सुडोकु, अटकू, KP10, अभाज्य संख्याओं के सटीक सूत्र इत्यादि के अन्वेषक, भारत के सबसे युवा समाचार पत्र संपादक. 500+ सरकारी स्तर की परीक्षाओं में अर्हताधारक, पद्म अवार्ड के लिए सर्वाधिक बार नामांकित. कई जनजागरूकता मुहिम में भागीदारी.