कविता

शिक्षक

माँ होती है बड़ी महान
दुनियाँ में हमको लेकर आई ,
ये सत्य है प्रथम गुरू होती माँ
अंधकार से नया सवेरा लाई ।
लेकर माँ हमको चली स्कूल
शिक्षक के हथों मे हाथ थमाती ,
वे गुरू ही हैं जो संघर्ष से लड़ना सिखाते
मार्गदर्शन की कदम- कदम पर करते शुरुआती ।
बेहतर इंसान बनाने के लिये
हमे हमारी पहचान दिलाते ,
ऐसे गुरू को मेरा शत्- शत् नमन
सफल जीवन का वो वरदान देते ।
शिक्षक के बिना ज्ञान है अधूरा
शिक्षक ही हमें ज्ञान की ज्योति से जगमगाते,
शिक्षको का करो मान- सम्मान
शिक्षक ही तुम्हे उज्ज्ल भविष्य के लिये आगे बढ़ाते ।

— कल्पना गौतम

कल्पना गौतम

उत्तर प्रदेश की निवासी हैं। हिन्दी में पीएचडी कर रही हैं।