कविता

कविता

हमारे बचपन में एक हिन्दुस्तान था
बाद में हमें बताया गया
देश में कई पाकिस्तान है
कोई हिन्दू कोई मुसलमान है
कोई अगड़ा कोई पिछड़ा है
देखा तो हर तरफ झगड़ा है
फिर समझ में आया
सबसे ताकतवर सत्ता है
उसी का खेला हर पत्ता है
जो सत्ता में है वो सबसे सुखी है
बाकी हर चेहरा दुःखी है
लड़वाना उसका फर्ज है
और मरना अंजाने दुःखी चेहरों की नीयती।
— भाष्कर गुहा नियोगी

भाष्कर गुहा नियोगी

मैं भाष्कर वाराणसी से पत्रकारिता से जुड़ा हूं। कविताएं भी लिख लेता हूं मेरे आसपास की घटनाएं ही कविता बन जाती है।