गीतिका/ग़ज़ल

तालिबान के सम्मान में,जश्न हिंदुस्तान में

आतंकी सरकार,तुम्हारी ऐसी-तैसी।
पाकिस्तानी यार,तुम्हारी ऐसी-तैसी।

अमरीका के कीड़े,इमरानी कुत्ते,
म्लेच्छ,मुवे,मक्कार,तुम्हारी ऐसी-तैसी।

कामी,क्रूर,कुटिल,क्रोधी, कपटी,कलंक,
बोल रहा संसार,तुम्हारी ऐसी-तैसी।

मां,मानवता,मही,नहीं दिखती तुझको,
करते नरसंहार, तुम्हारी ऐसी-तैसी।

चीन तुम्हारा पोषक,तुर्की मदद करे,
करता कतर दुलार,तुम्हारी ऐसी-तैसी।

महिलाओं के शोषक,पोषक हिंसा के,
हे मन के बीमार,तुम्हारी ऐसी-तैसी।

बने मदरसे मम्मी,अब्बा पाक बना,
हिंसा के अवतार,तुम्हारी ऐसी-तैसी।

तहस-नहस अफगानिस्तान किए कपटी,
कट्टर,क्रूर,गंवार,तुम्हारी ऐसी-तैसी।

लुच्चे,टुच्चे,पापी,सड़े हुए अंडे,
लंपट रंगे सियार,तुम्हारी ऐसी-तैसी।

हक्कानी जिस पर इनाम है अरबों का,
चला रहा सरकार,तुम्हारी ऐसी-तैसी।

गुंडे,कातिल,आतंकी का गुच्छा तू,
सरिया की सरकार,तुम्हारी ऐसी-तैसी।

भूखे बच्चे,सिसक रहीं हैं माताएं,
सुन ले बे चीत्कार,तुम्हारी ऐसी-तैसी।

तुम्हें बहत्तर हूरों से ही मतलब है,
एक लक्ष्य,’व्यभिचार’, तुम्हारी ऐसी-तैसी।

हक्के,बक्के,छक्के,नाजायज धक्के,
इस धरती के भार,तुम्हारी ऐसी-तैसी।

माता,बेटी और बहन,तुम क्या जानो,
मजहब के सरदार,तुम्हारी ऐसी-तैसी।

माना भारत में भी छुपे हुए हैं कुछ,
द्रोही,खल, गद्दार, तुम्हारी ऐसी-तैसी।

तेरी कलुषित नजर अगर इस ओर पड़ी,
समझो बंटाधार,तुम्हारी ऐसी-तैसी।

हमें न पाकिस्तान समझ लेना म्लेच्छों,
कर देंगे उद्धार,तुम्हारी ऐसी-तैसी।

टुकड़े-टुकड़े करके काबुल भेजेगा,
दिल्ली का सरदार,तुम्हारी ऐसी-तैसी।

तुम सुरेश को नहीं जानते रे लुच्चे,
बंद करो तकरार, तुम्हारी ऐसी-तैसी।

हिंदुस्तान पुराना वाला नहीं रहा,
हे जिनपिंग के सार,तुम्हारी ऐसी-तैसी।

सौ करोड़ थूकेंगे तो बस जाओगे,
सुन मेरी ललकार,तुम्हारी ऐसी-तैसी।

— सुरेश मिश्र

सुरेश मिश्र

हास्य कवि मो. 09869141831, 09619872154