कविता

कविता

जब से उनके दिल के करीब हुए
सच मानों दोस्तों, हम तो फकीर हुए

खर्च होते हैं दिन रात मेरे उनकी यादों में
अब तन्हाईयों के शिवा कुछ नहीं है जीने में

एक ख्याल उनका बेवक्त सीने में शोर करता है
सांसें भी चलने से पहले हजार सवाल करते हैं

*बबली सिन्हा

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