कविता

बुजुर्ग हैं अपना भगवान

बुजुर्ग को ना करो अपमान
बुजुर्ग को मिले सम्मान
बुजुर्ग हैं अपना भगवान
बुर्जुग को मिले हमारा मान

उनको भूल कर गैर ना समझो
सेवा कर मेवा हर रोज परखो
बुजुर्ग से है सबका आज नाम
वृद्धजन है सबका भगवान

बुजुर्ग से है खून का नाता
उनके तन से हमारा तन पाता
शिक्षा दाता विनय सिखलाता
राह चलने की सबक सिखाता

नाम व कूल का दाता है
प्यार से हमें वो पालता है
जग में प्यार जताता है
बुजुर्ग सबका ही विधाता है

देव तुल्य है देव मूल्य है
हमारा वो सुरक्षा कवच है
मार्ग दर्शक पथ निर्देशक
उनका हम हैं ऋणी हर वक्त

श्रवण कुमार बन सेवा करना
उनको कभी गैर ना समझना
वृद्धजन का करो सम्मान
जग में पा लो फिर तूँ मान

उदय किशोर साह

उदय किशोर साह

पत्रकार, दैनिक भास्कर जयपुर बाँका मो० पो० जयपुर जिला बाँका बिहार मो.-9546115088