राजनीति

कृषि कानून का विरोध नही बल्कि राष्ट्र विरोधी ताकतों का जमावड़ा

पिछले ग्यारह महीनों से कृषि सुधार कानून के नाम पर तथाकथित किसानों का आंदोलन चल रहा है। इस किसान आंदोलन पर यदि हम गम्भीरता से विचार करते है तो ध्यान में आएगा कि यह किसानों का आंदोलन नही बल्कि राजनीति से प्रेरित राष्ट्र विरोधी ताकतों का जमावड़ा लगा हुआ है।
इतने लंबे समय तक कोई भी किसान अपने कृषि कार्यों को छोड़कर धरना प्रदर्शन नही करेगा। किसान अपनी भारत की मिट्टी से जुड़ा होता है वह हिंसक नही हो सकता, उपद्रव नही करता बल्कि उसे यदि कोई प्रदर्शन करना होता है तो अनुशासित तरीके से शालीनतापूर्वक अपनी बात को रखता है। यह जो आंदोलन चल रहा है वह आंदोलन नही बल्कि देश की संपत्ति को नुकसान पहुंचाना, हिंसा करना, सामान्य जनमानस के मार्ग को रोकना, यातायात व्यवस्था को प्रभावित करना, ट्रेनों के सञ्चालन में व्यवधान उत्पन्न करना, देशविरोधी नारे लगाना, प्रदर्शन करना आदि कार्य किसान आंदोलन की आड़ में राजीतिक विद्वेष रखने वाले आपराधिक प्रवृत्ति के लोग करते हैं। और यदि इन्हें आंदोलन ही करना है तो किसी ऐसे स्थान का चयन करें जहां सामान्य जनमानस का नुकसान न हो तथा आवागमन प्रभावित न किया जाए। कोई आंदोलन प्रभावी तभी होता है जब वह अनुसान में रहकर किया जाता है। तथाकथित किसान आंदोलन बात तो महात्मा गांधी के आदर्श की करता है लेकिन कार्य अज़मल कसाब, आतंकीयों जैसा करता है वर्तमान में चल रहा किसान आंदोलन  को अब जनता भी अच्छे से जान चुकी है इसलिए इनका समर्थन भी नही हो रहा है। ये कुछ छुटपुट लोग अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने के लिये विभिन प्रकार के कुण्ठित लोग, देश विरोधी ताकतें सरकार के विरोध में हिंसात्मक प्रदर्शन पर उतारू हो गए हैं अब यह सब अपनी खीझ मिटाने के लिए उग्र रूप तैयार कर रहे हैं। जबकि सुप्रीम कोर्ट कई बार कह चुका है कि भारतीय नागरिक को शांतिपूर्ण तरीके से धरना प्रदर्शन करने का अधिकार तो है लेकिन सड़क जाम करने या हिंसा करने का नहीं। इसके बावजूद पिछले 11 महीनों से तथाकथित किसान नेता दिल्ली की सीमाओं पर कृषि कानून के विरोध में प्रदर्शन के नाम पर आम जनता की जिंदगी के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। दिल्ली के गाजीपुर, टिकरी और सिंघु बार्डर पर स्वघोषित किसान नेताओं द्वारा मुख्य सड़कें और राष्ट्रीय राजमार्ग बंद करने के कारण दिल्ली, गाजियाबाद, नोएडा, गुरुग्राम, फरीदाबाद, बागपत, सोनीपत और पानीपत के निवासियों को ही नहीं बल्कि देश के अन्य राज्यों से आने वाले लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। स्वघोषित किसान नेताओं को उन किसानों की भी चिंता नहीं है जो आस पास के जिलों से प्रतिदिन सुबह दूध, फल सब्जी और अन्य सामान बेचने दिल्ली आते हैं और शाम को वापस जाते हैं। पिछले 11 महीने में इन प्रदर्शनकारी नेताओं ने अपने टेंट को आधुनिक सुख सुविधाओं से सुसज्जित कर लिया है। राष्ट्रीय राजमार्ग बंद होने के कारण बॉर्डर पर सुबह-शाम इतना ज्यादा ट्रैफिक हो जाता है कि एक किलोमीटर की दूरी तय करने के लिए चार से पांच किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है। हांलांकि ये सब अभी कुछ दिन और चलेगा क्योंकि कुछ राज्यों में अभी चुनाव होने हैं इसलिए भी यह लोग चर्चा में बने रहने के लिये तमाम प्रकार के नाटक रचेंगे। ऐसे लोगो से सावधान होकर अपना कार्य करना है तथा समाज को जागरूक करने की आवश्यकता है ऐसे दुष्ट ताकतों की विषैली बेल कहीं न पनपे इसलिए और सचेत, सजग होकर अपने कार्य को करने की आवश्यकता है।

*बाल भास्कर मिश्र

पता- बाल भाष्कर मिश्र "भारत" ग्राम व पोस्ट- कल्यानमल , जिला - हरदोई पिन- 241304 मो. 7860455047