कविता

स्व प्रेम

जीवन आपका है
आपको जीना कैसे है
भला आपसे बेहतर कौन जानता है?
मगर प्रेम भी जीवन में
बहुत काम आता है,
जीवन की राह आसान बनाता है।
माना कि आप प्रेम की खान हैं
अनवरत बाँटते हैं,
बस यहीं तनिक भूल कर जाते हैं।
अपने हिस्से का प्रेम मत लुटाइए
थोड़ा थोड़ा प्रेम खुद पर भी बरसाइए,
दुनियां को प्रेम बाँटते रहिए
मगर खुद से भी प्रेम करना सीखिए,
औरों को प्रेम बाँटना उत्तम है
खुद के बारे में सोचना भी तो
आपकी ही जिम्मेदारी है।
क्योंकि आप जब खुद से प्रेम करेंगे
तभी तो ओरों के लिए
सार्थक प्रेम वितरण की गँभीरता
अच्छे से महसूस कर सकेंगे,
प्रेम की गंगा में मिलकर गोते लगा सकेंगे
खुद से भी प्रेम कर सकेंगे।

 

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921