बी पी एस सी की पूर्वाग्रहग्रस्तता !
राष्ट्रपति सचिवालय के द्वारा मुख्य सचिव, बिहार को लिखा पत्र-‘बिहार लोक सेवा आयोग’ (BPSC) के उस कारनामे के लिए,मुझे कुतर्क बल पर 45 वीं सं.प्रति. परीक्षा – उत्तीर्णता को 17 वषों से अनसुना रहे।
आज लोग SDM, BDO, SDC, SDPO बनने-बनाने के लिए खुद तथा बाल- बच्चों को पटना, दिल्ली पढ़ने भेजते हैं । सर के बाल उड़ाते हैं, बूढे हो जाते हैं, तब कहीं BPSC द्वारा इनकी नियुक्ति की वैकेंसी ज़ारी की जाती है।
ऐसे श्रमसाध्य सोपान के बावज़ूद ‘बिहार लोक सेवा आयोग ‘ के द्वारा कई प्रकार के तिकड़म भिड़ाकर परीक्षार्थी की सफलता में कुतर्क गढ़कर उन्हें ख़ारिज़ करने का नेस्तनाबूद प्रयास किया जाता है, एक बानगी तो देखिये-
45 वीं संयुक्त प्रतियोगिता (मुख्य)परीक्षा में मेरा प्राप्तांक(701) EBC Cut of marks (696) से ज्यादा होने के बावज़ूद मुझे इंटरव्यू के लिए बुलाया नहीं जाता है। RTI एक्ट. से जानकारी प्राप्त करने पर मार्कशीट में GS – 1 में zero अंक दिया गया है, RTI एक्ट. के अंतर्गत GS-1 की उत्तरपुस्तिका मंगाने पर उस पर जांच कर ‘120’ अंक दिया गया है।
ऐसी जानकारी के बाद BPSC द्वारा बिना प्रमाणित, बिना प्रकाशित, बिना सूचित किए, परीक्षा संपन्न के बाद का फ़र्ज़ी व कुतर्क व आधारहीन निर्णय देकर मेरी उम्मीदवारी को खारिज के विरूद्ध BPSC के संवैधानिक निकाय के कारण उनके विरूद्ध माननीय राष्ट्रपति महोदय से पत्रांक- P2/E/0207130009 के आलोक में दि.02.07.2013 को मुख्यसचिव, बिहार को अंतरित किया जाने, पर उनके द्वारा शिकायत्कारक BPSC को ही जांच को देने और उनका रटा-रटाया जवाब के विरुद्ध पुन: राष्ट्रपति से गुहार लगाया, जिनका जवाब P2/E/2307150388/ दि.23.07.’15 है।