कविता

तिरंगा

मेरे देश  की आन  तिरंगा।
 जन-जन की पहचान तिरंगा।
लहरा -लहरा के गाता है…
 मेरे देश की ऐसी शान तिरंगा।।
 कहता है स्वतंत्रता की कहानियां।
इसी तिरंगे की खातिर,
मिटी है मेरे देश की अनगिनत जवानियां।
मेरे देश की आन तिरंगा।
जन-जन की पहचान तिरंगा।
लहरा -लहरा के गाता है।
मेरे देश की ऐसी शान तिरंगा।
कितने मर- मिटे थे दीवाने।
कितने परिचित कितने अनजाने।
शान इसकी बढ़ा रहे हैं।
जान अपनी लुटा रहे हैं।
आजादी के वह परिंदे देकर लहू खींचे रंग इसके।
 सरहदों पर खड़े वीर सैनिक  इसके।
आजादी देश की रख रहे सलामत।
आओ हम भी मिलकर आज।
कसम देश की खाते हैं।
मान रखेंगें अपने झंडे का मिलकर प्राण उठाते हैं।
— प्रीति शर्मा असीम

प्रीति शर्मा असीम

नालागढ़ ,हिमाचल प्रदेश Email- aditichinu80@gmail.com