कविता

लक्ष्य

लक्ष्य निर्धारित कर

कर दे शुरुआत सफर की

रास्ता खुद ब खुद बन जाएगा

कदमों के निशान छोड़ता चल

पीछे बहुत होंगे जिन्हें लक्ष्य पर पहुंचना है

पत्थरों पर जुनून की खरोच जरूर छोड़ना

सुकून देंगी तुम्हें ये यादें

लक्ष्य ललाट पर ,सीने में जज्बा

ताकत का सैलाब लिए तू चल

पहुंच लक्ष्य पर

बाधाएं मुसीबतें हिस्सा होंगी

लड़ता चल, ऐसे लड़ तू समर में है

एक हाथ तलवार एक हाथ धनुष

अजय योद्धा की तरह

बस पहुंचना तुम अपने लक्ष्य तक

आने वाली पीढ़ी याद करे

 

प्रवीण माटी

प्रवीण माटी

नाम -प्रवीण माटी गाँव- नौरंगाबाद डाकघर-बामला,भिवानी 127021 हरियाणा मकान नं-100 9873845733