लघुकथा

“युवा दिवस”

“राष्ट्रीय युवा दिवस” पर विशेष

आज के हर समाचार पत्र की प्रमुख सुर्खी थी- “स्‍वामी विवेकानंद की जयंती पर12 जनवरी को “राष्ट्रीय युवा दिवस” मनाया जाता है.”
इस सुर्खी से संवेदना को अपनी सखी सुगंधा की याद आ गई.
लगभग 16 साल पहले सुगंधा अपने मामा को देखने अस्पताल गई थी, तो अस्पताल में उसे सुगंधा मिली थी.
“सुगंधा, यहां कैसे?” उसका छोटा-सा प्रश्न था.
“आज बीनू की बाईपास सर्जरी होने वाली है.”
“बीनू कौन!”
“तुम्हारे जीजाजी.”
“अच्छा, विनोद का!”
उसके बाद हालचाल पूछने के लिए सुगंधा से उसकी बातचीत होती रहती थी.
“सब कुछ ठीक चल रहा है पर अब मेरे स्कूल खुलने वाले हैं, पीछे बीनू का ध्यान कौन रखेगा?” एक दिन सुगंधा ने अपनी चिंता व्यक्त की.
“बीनू तो है न!” संवेदना का कहना था.
“मतलब! मेरे होते हुए भी वो तो बात-बात में घबरा जाते हैं.” सुगंधा की चिंता मुखर थी.
“तू उस दिन मेरे साथ बीनू की बनियानें खरीद रही थी न! शायद Young Man!” संवेदना ने कुछ सोचते हुए कहा.
“ठीक कह रही हो, इनको Young Man ही पसंद हैं. कई सालों से Young Man ही पहनते रहे हैं.”
“बस फिर हो गया काम! तू उठते-बैठते उनको बीनू के बदले Young Man कहा कर.”
“उससे क्या होगा?” सुगंधा को बात ऐंवें ही लगी थी.
“अरे, तू कह कर तो देख! शब्द-शब्द की अपनी महिमा होती है!”
“चल यह भी करके देखती हूं.” सुगंधा को विश्वास तो नहीं ही था, पर करके देखने में हर्ज भी तो नहीं था!
”यार! तेरा Young Man तो बड़ा पावर फुल निकला!” कुछ दिन बाद सुगंधा ने फोन पर कहा था.
“कुछ खास बात!”
“जैसे ही मैं “चाय लीजिए Young Man, सैर पर चलिए Young Man” कहती हूं, बीनू का चेहरा खिल उठता है. अब उनका आत्मविश्वास भी जाग उठा है. वे कहने लगे हैं, “तू चिंता मत कर, तू स्कूल जाएगी तो मैं सब काम खुद ही कर लूंगा.” अभी से ही थोड़ा-थोड़ा खुद से ही करने भी लगे हैं. बहुत-बहुत शुक्रिया तेरे Young Man का!”
“चल भाई, कोई अच्छा काम तो हमने भी कर लिया! Young Man कहते ही युवा शक्ति का उदय होने लग जाता है. अब तू भी किसी का ऐसे ही भला कर देना.”
युवा दिवस न होते हुए भी उस दिन “युवा दिवस” मन गया था.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244