कविता

प्रिय

कदम्ब की डाल बैठ पपीहा कूक रहा
आया वसन्त भॅंवरों का मन डोल रहा
रंग-बिरंगी तितलियों की मुस्कान मनोहर
फूलों का चुरा पराग मधुरुपी हुआ श्रृंगार
चल रही वसंती बयार, हरेभरे खेत झूम रहे
कृषक भर जाएगी झोली, गीत वसंती गा रहे
मन्द – मन्द सुगंध प्रिये की जुल्फें फैला रहीं
सब दिशाएं रंग पीत लेकर यौवनता ला रहीं
फूल उठी कचनार पाकर सुखद संदेश
रातभर रोई चकोरी छोड़ गये प्रिय स्वदेश
बिन प्रीतम के सूना – सूना फाग लगे
मिलन की आस में अखियां रोज जगें
बीतीं मधुमय रातें, छोड़ प्रिय जा बसे परदेश
मन में बसीं सुखमय सरस रसभरी यादें शेष
आया वसंत….. प्रिय तुम भी आ जाओ
कौन लगाये फाग रंग, प्रिय तुम्हीं बताओ
— मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

नाम - मुकेश कुमार ऋषि वर्मा एम.ए., आई.डी.जी. बाॅम्बे सहित अन्य 5 प्रमाणपत्रीय कोर्स पत्रकारिता- आर्यावर्त केसरी, एकलव्य मानव संदेश सदस्य- मीडिया फोरम आॅफ इंडिया सहित 4 अन्य सामाजिक संगठनों में सदस्य अभिनय- कई क्षेत्रीय फिल्मों व अलबमों में प्रकाशन- दो लघु काव्य पुस्तिकायें व देशभर में हजारों रचनायें प्रकाशित मुख्य आजीविका- कृषि, मजदूरी, कम्यूनिकेशन शाॅप पता- गाँव रिहावली, फतेहाबाद, आगरा-283111