बाल कविता

एक बनो, नेक बनो,

एक पेड़ में से हजारों दियासलाइयां बन सकती हैं
एक दियासलाई सारे जंगल को जला सकती है
एक सूर्य सारे जगत को प्रकाशमय बना देता है
एक चंद्रमा रात में भी पथ प्रदर्शित करा सकता है
एक परमशक्ति की परम सत्ता एकता का प्रतीक है
एक-एक ईंट से कई मंजिली इमारत बन सकती है
एक-एक तिनके से पक्षियों का मजबूत निवास बन सकता है
एक-एक फूल से माला बनकर कंठ को सुशोभित कर सकती है
एक से एक मिले ‘गर बूंदें बन सकता है दरिया
एक से एक मिले ‘गर जर्रा बन सकता है सेहरा
एक से एक मिले ‘गर राई बन सकती है पर्वत
एक से एक मिले ‘गर इंसां बस में कर ले किस्मत
एक बनो, नेक बनो, आनंद का आगार बनो.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

One thought on “एक बनो, नेक बनो,

  • *लीला तिवानी

    संसदीय लोकतंत्र में एक-एक वोट की अहमियत होती है। इस बात को पूरे देश ने तब और ठीक से समझा जब 1999 में महज 1 वोट के लिए तत्कालीन अटल बिहारी सरकार को सत्ता से बेदखल होना पड़ा था। इसी तर्ज पर गाजीपुर में साल 1967 के विधानसभा चुनाव में दिलदारनगर सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले कृष्णानंद राय ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी से 1 वोट अधिक पाकर विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की थी और तत्कालीन प्रदेश सरकार में स्वास्थ्य मंत्री भी बने थे।

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