पुस्तक समीक्षा

दो उपयोगी बाल पुस्तकें

श्रीमती किरण सिंह द्वारा रची हुई दो पुस्तकें मेरे हाथों में हैं। दोनों को बाल पाठकों को दृष्टि में रखते हुए तैयार किया गया है।
पहली पुस्तक श्री राम कथामृतम् एक खण्ड काव्य है, जिसमें श्री राम की पूरी जीवन कथा सरल कविताओं के माध्यम से गायी गयी है। श्री राम के जीवन की प्रमुख घटनाओं को अध्यायों का रूप देकर उनका वर्णन करते हुए कवितायें लिखी गयी हैं। कविताओं की भाषा सरल और गेय है। उनके साथ-साथ घटनाओं से सम्बंधित सुन्दर रंगीन चित्र भी बड़ी संख्या में दिये गये हैं, जिनसे पुस्तक की उपादेयता बहुत अधिक ब़ढ़ जाती है।
कवयित्री महोदया बिहार की रहने वाली हैं, इसलिए कविताओं में बिहारी हिन्दी के अनुरूप व्याकरण की त्रुटियाँ रहना स्वाभाविक है, पर वे खटकती बिल्कुल नहीं हैं, क्योंकि वर्तनी की त्रुटियाँ नहीं हैं।
इस पुस्तक की भूमिका श्री प्रभात कुमार राय ने और प्राक्कथन भगवती प्रसाद द्विवेदी ने लिखा है। यह जानना हर्षदायक है कि इस खण्ड काव्य को उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा ‘सूर पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया है।
दूसरी पुस्तक ‘अक्कड़ बक्कड़ बॉम्बे बो’ विभिन्न सामयिक विषयों पर छोटी-बड़ी बाल कविताओं का संग्रह है। इनमें 23 बालगीत और 6 कवितायें संग्रहीत की गयी हैं। इन कविताओं के विषय ‘चींटी’ से लेकर ‘कोरोना’ तक बहुत विस्तृत है। इनमें पारिवारिक संस्कारों से लेकर पर्यावरण सुरक्षा तक की भी प्रेरणा दी गयी है।
सभी कविताओं की भाषा सरल और गेय है। हर कविता के साथ एक सुन्दर श्वेत-श्याम चित्र भी अवश्य दिया गया है, जिससे पता चलता है कि कवयित्री और प्रकाशक ने पुस्तक तैयार करने में बहुत परिश्रम किया है।
दोनों पुस्तकों का मुखपृष्ठ बहुत आकर्षक है। दोनों की छपाई उच्चकोटि की है और उच्चकोटि के ही कागज का उपयोग किया गया है। दोनों पुस्तकें संग्रहणीय और

नित्य पठनीय हैं। इनसे बच्चों का ज्ञान अवश्य ही बढ़ेगा। कुल  मिलाकर पुस्तकें अपने उद्देश्य में सफल हैं। पुस्तकों की सामग्री और चित्रों की अधिकता को देखते हुए इनका मूल्य बहुत उचित रखा गया है। इसके लिए कवयित्री एवं दोनों प्रकाशक निश्चित रूप से बधाई के पात्र हैं।

— डॉ. विजय कुमार सिंघल

डॉ. विजय कुमार सिंघल

नाम - डाॅ विजय कुमार सिंघल ‘अंजान’ जन्म तिथि - 27 अक्तूबर, 1959 जन्म स्थान - गाँव - दघेंटा, विकास खंड - बल्देव, जिला - मथुरा (उ.प्र.) पिता - स्व. श्री छेदा लाल अग्रवाल माता - स्व. श्रीमती शीला देवी पितामह - स्व. श्री चिन्तामणि जी सिंघल ज्येष्ठ पितामह - स्व. स्वामी शंकरानन्द सरस्वती जी महाराज शिक्षा - एम.स्टेट., एम.फिल. (कम्प्यूटर विज्ञान), सीएआईआईबी पुरस्कार - जापान के एक सरकारी संस्थान द्वारा कम्प्यूटरीकरण विषय पर आयोजित विश्व-स्तरीय निबंध प्रतियोगिता में विजयी होने पर पुरस्कार ग्रहण करने हेतु जापान यात्रा, जहाँ गोल्ड कप द्वारा सम्मानित। इसके अतिरिक्त अनेक निबंध प्रतियोगिताओं में पुरस्कृत। आजीविका - इलाहाबाद बैंक, डीआरएस, मंडलीय कार्यालय, लखनऊ में मुख्य प्रबंधक (सूचना प्रौद्योगिकी) के पद से अवकाशप्राप्त। लेखन - कम्प्यूटर से सम्बंधित विषयों पर 80 पुस्तकें लिखित, जिनमें से 75 प्रकाशित। अन्य प्रकाशित पुस्तकें- वैदिक गीता, सरस भजन संग्रह, स्वास्थ्य रहस्य। अनेक लेख, कविताएँ, कहानियाँ, व्यंग्य, कार्टून आदि यत्र-तत्र प्रकाशित। महाभारत पर आधारित लघु उपन्यास ‘शान्तिदूत’ वेबसाइट पर प्रकाशित। आत्मकथा - प्रथम भाग (मुर्गे की तीसरी टाँग), द्वितीय भाग (दो नम्बर का आदमी) एवं तृतीय भाग (एक नजर पीछे की ओर) प्रकाशित। आत्मकथा का चतुर्थ भाग (महाशून्य की ओर) प्रकाशनाधीन। प्रकाशन- वेब पत्रिका ‘जय विजय’ मासिक का नियमित सम्पादन एवं प्रकाशन, वेबसाइट- www.jayvijay.co, ई-मेल: jayvijaymail@gmail.com, प्राकृतिक चिकित्सक एवं योगाचार्य सम्पर्क सूत्र - 15, सरयू विहार फेज 2, निकट बसन्त विहार, कमला नगर, आगरा-282005 (उप्र), मो. 9919997596, ई-मेल- vijayks@rediffmail.com, vijaysinghal27@gmail.com