इतिहास

विश्वरत्न लता मंगेशकर

गुलजार के गीत है, जिसे खुद लता मंगेशकर ने स्वर दी है-

“मैं एक सदी से बैठी हूँ
इस राह से कोई गुजरा नहीं..
कुछ चाँद के रथ तो उतरे थे,
पर चाँद से कोई उतरा नहीं।
दिन-रात के दोनों पहिए भी,
कुछ धूल उड़ाकर बीत गए
मैं मन आँगन में बैठी रही,
चौखट से कोई गुजरा नहीं।
आकाश बड़ा बूढ़ा बाबा,
सबको कुछ बाँट के जाता है
आँखों को निचोड़ा मैंने बहुत,
पर कोई आँसू उतरा नहीं..
मैं एक सदी से बैठी हूँ।”

गीत से तो अकेलापन लिए उदासी छलकती है, किन्तु जिंदगी का यह अंतिम सच थोड़े ही है कि कोई अगर अविवाहित है तो वह शख्सियत पूरी तरह अकेले हो गए। नाती-पोते से भरे-पूरे परिवार में 92 वर्ष और कुछ माह की जिंदगी पायी अविवाहित ‘लता’ के साथ करोड़ों भारतीय थे, तो लाखों विदेशी प्रशंसक भी। चार बहनें यथा- लता, उषा, मीना, आशा और एक भाई ‘हृदयनाथ’। भाई हृदयनाथ ही सनातन हिन्दू धर्मानुसार लता जी का अग्नि संस्कार किए। मृत्यु से पूर्व इन पाँचों भाई-बहनों के उम्र का योग 450 वर्ष के करीब है या प्रत्येक 90 वर्ष के करीब। अब शेष भाई-बहन नाबाद शतायुजीवन पाएँ, यही कामना है।

लता मंगेशकर के निधन से आज पूरा देश गमगीन है। अपनी आवाज के जरिए गीतों में जान फूंकने वाली लता मंगेशकर के निधन के साथ एक ही नहीं अनेक युग का भी एकसाथ अंत हो गया। ‘मेरी आवाज ही मेरी पहचान है’ यानी आवाज की इस जादूगरनी को पतली आवाज के कारण शुरुआत में ‘रिजेक्शन’ का कई झटके लगे, ट्रेजेडी किंग दिलीप कुमार तक उनकी शुरुआती भाषा से प्रभावित नहीं दिखे, बाद में तो उन्हें छोटी बहन मानने लगे। उनके निधन पर राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित सभी माननीयों, नेपाल और श्रीलंका के राष्ट्रपति, बांग्लादेश की प्रधानमंत्री, पाकिस्तान के सूचना मंत्री तक को शोक-संवेदना व्यक्त करने पड़े। उनके निधन पर केंद्र सरकार ने दो दिन के लिए राष्‍ट्रीय शोक की घोषणा की है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने राज्य में पंद्रह दिनों तक उनके गानों को सार्वजनिक स्थलों पर बजाने की अनुमति दी हैं।

भारत रत्न और बालीवुड की लेजेंड्री सिंगर लता मंगेशकर का 6 फरवरी 2022 को निधन हो गया। राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द ने उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा- भारतरत्न लता जी की उपलब्धियां अतुलनीय रहेंगी। तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दु:ख व्यक्त करते हुए कहा- लता दीदी देश में एक खालीपन छोड़ गई हैं, जिसे भरा नहीं जा सकता है। पीएम ने कहा कि उनके निधन से मैं व्यक्तिगत पीड़ा में हूँ। प्रधानमंत्री ने एक के बाद एक कई ट्वीट किए और स्वरकोकिला के साथ बिताए पुराने दिनों को याद किए। एक ट्वीट में उन्होंने लिखा- लता दीदी के गानों ने कई तरह की भावनाओं को उभारा है। उन्होंने दशकों तक भारतीय फिल्म जगत के बदलावों को करीब से देखा। वह हमेशा भारत के विकास के बारे में भावुक थीं। वह हमेशा एक मजबूत और विकसित भारत देखना चाहती थीं।

ज्ञात हो, लता मंगेशकर मृत्यु तक मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्‍पताल में 29 दिनों से भर्ती थे। उनके इलाज के दौरान कई बार हालात सामान्‍य हुए तो कई बार गंभीर भी हुए। हालत में सुधार होने पर उन्‍हें वेंटिलेटर से हटाया गया था, फिर वेंटिलेटर के साथ रही।  उनका इलाज कर रहे डाक्‍टरों का कहना है कि लता मंगेशकर का निधन रविवार सुबह 8 बजकर 12 मिनट पर ‘मल्‍टी आर्गन फेल्‍योर’ की वजह से हो गया। उनका अंतिम संस्‍कार राजकीय सम्मान के साथ शाम 4:30 बजे किया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, महानायक अमिताभ बच्चन आदि भी उपस्थित थे। इससे पहले दोपहर 12 से 3 बजे के बीच आमजनों के दर्शनार्थ रखे गए, ताकि आमजन उनके आखिरी दर्शन कर सकें। लता की मृत्यु की खबर सर्वप्रथम उनकी बहन उषा मंगेशकर ने दी।

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने भारतरत्न लता मंगेशकर के निधन पर दु:ख व्यक्त किया। उनका कहना है कि इस खबर से उनका दिल टूट गया। सोमवार 8 फरवरी को महाराष्ट्र के स्कूल-कॉलेज बन्द रहे, तो बिहार के सभी सरकारी कार्यालयों और सर्वजनिक स्थलों में राष्ट्रध्वज आधी झुकी रही। राहुल गांधी ने कहा कि उनकी सुनहरी आवाज अमर है और उनके प्रशंसकों के दिलों में गूंजती रहेगी। उनके परिवार, दोस्तों और प्रशंसकों के प्रति मेरी संवेदनाएँ। नितिन गडकरी ने मुंबई के ब्रीच कैंडी हॉस्पिटल पहुंच कर स्वरकोकिला भारतरत्न लता मंगेशकर जी के अंतिम दर्शन किए। उनके परिवार को सांत्वना दी और कहा- लता दीदी हमेशा हम सभी के लिए प्रेरणा बनी रहेंगी। देशवासियों की तरह उनके लिए भी उनका संगीत बहुत ही प्रिय रहा है। उन्हें जब भी समय मिलता है तो उनकी गाई नगमें जरूर सुनता हूँ। अरविंद केजरीवाल ने अपने ट्वीट में लिखा- भारत की स्वरकोकिला महान लता मंगेशकर जी का निधन भारत में संगीत के एक युग की समाप्ति है। उनकी सुरीली आवाज़ हम सबके बीच और पूरी दुनिया में सदा अमर रहेगी। लता जी के गाने के दीवाने एशिया महादेश के साथ-साथ पूरी दुनिया में है। टाइम मैगज़ीन ने उन्हें भारती की इकलौती स्वरसाम्राज्ञी स्वीकार किया है। लता दीदी को भारत सरकार ने दादासाहब फाल्के पुरस्कार, नेशनल अवार्ड, पद्मविभूषण और भारतरत्न से सम्मानित किया है। कहते हैं, दुनिया के 36 से अधिक भाषाओं में लता जी के गाये 60,000 से अधिक गीत हैं। वैसे गिनीज बुक में दर्ज रिकॉर्ड के अनुसार तब उनके द्वारा गायी गीतों की संख्या 20 भाषाओं में 30,000 थी।

लता दीदी की वास्तविक जीवनी ‘लता सुर-गाथा’ के रचनाकार यतीन्द्र मिश्र और विकिपीडिया के अनुसार- पंडित दीनानाथ मंगेशकर और शेवन्ती देवी के यहाँ बड़ी संतान के रूप में लता जी का जन्म 29 सितंबर 1929 को मध्यप्रान्त (अब मध्यप्रदेश) इंदौर में गोमांतक मराठा समाज में हुआ था। बिल्कुल मध्यवर्गीय परिवार, जिनमें उनके पिता रंगमंच यानी थियेटर कलाकार और शास्त्रीय गायक थे, हालाँकि लता जी का जन्म इंदौर में हुआ था, परंतु उनकी परवरिश सौराष्ट्र के ‘महाराष्ट्र’ हिस्से में हुई। घर का माहौल ही नहीं, वरन आजीविकोपार्जन का साधन भी कलाकारवृत्ति ही रहा। वह बचपन से ही गायक बनना चाहती थीं और बाल्यावस्था में के. एल. सहगल यानी कुंदनलाल सहगल की फ़िल्म ‘चंडीदास’ देखकर उन्होने कहा था कि वो बड़ी होकर सहगल से शादी करेगी। पहली बार लता ने वसंत जोगलेकर जी निर्देशित फ़िल्म ‘किती हसाल’ (कितना हँसोगे) के लिए गाई, किन्तु उनके पिता नहीं चाहते थे कि लता फ़िल्मों के लिये गाये, इसलिये इस गाने को उस फ़िल्म से निकाल दिया गया, बावजूद उसकी प्रतिभा से वसंत जोगलेकर प्रभावित हुए बिना नहीं रह सके। पंडित दीनानाथ जी उन्हें शास्त्रीय गायिका बनाना चाहते थे। दीनानाथ जी के निधन के बाद और देश की आजादी के वक्त सन 1947 वसंत जोगलेकर ने अपनी फ़िल्म आपकी सेवा में में लता को गाने का मौका दिया। इस फ़िल्म के गानों से लता की खूब चर्चा हुई। इसके बाद लता ने मज़बूर फ़िल्म के गीतों, यथा- ‘अंग्रेजी छोरा चला गया’ और ‘दिल मेरा तोड़ा हाय मुझे कहीं का न छोड़ा तेरे प्यार ने’ से फ़िल्म अपना खूँटा गाड़ ली।

भारत छोड़ो आंदोलन के समय लता जी के पिताजी का देहांत हो गया, इस समय उनकी आयु सिर्फ तेरह वर्ष की थी। भाई-बहनों में सबसे बड़ी होने के कारण पारिवारिक भरण-पोषण का बोझ भी उनके कंधों पर आ गया था, दूसरी ओर लता जी को अपने करियर की भी तलाश थी। पिता जी के मृत्यु के बाद लता जी ने पार्श्वगायिकी में कदम रखा, तब इस क्षेत्र शमशाद बेगम, नूरजहाँ, राजकुमारी इत्यादि गायिका ही चल रही थी। पार्श्वगायन संघर्ष के बीच लता को पैसों की बहुत किल्लत झेलनी पड़ी और काफी संघर्ष करना पड़ा। उन्हें अभिनय बहुत पसंद नहीं था, लेकिन पिता की असामयिक मृत्यु की वज़ह से पैसों के लिये उन्हें मराठी और हिंदी फिल्मों में बतौर बाल कलाकार अभिनय करनी पड़ी। अभिनेत्री के रूप में उनकी पहली फ़िल्म 1942 में बनी मराठी फिल्म पाहिली मंगलागौर रही। बाद में उन्होंने कई फ़िल्मों में अभिनय की, यथा- माझे बाल, चिमुकला संसार (1943), गजभाऊ (1944), बड़ी माँ  (1945), जीवन यात्रा (1946), माँद (1948), छत्रपति शिवाजी (1952) शामिल थी। फ़िल्म बड़ी माँ  में उसने नूरजहाँ संग अभिनय की, जिनमें उनकी छोटी बहन की भूमिका निभाई उनकी छोटी बहन आशा भोंसले ने। इस फ़िल्म में खुद की भूमिका के लिये उसने गाने भी गाई, तो आशा जी के लिये पार्श्वगायन भी की। वहीं नूरजहाँ के गुरु उस्ताद गुलाम हैदर ने उन्हें बतौर गायिका के लिए कई फ़िल्म निर्माताओं और फ़िल्म स्टूडियो ले गए, पर इतनी जल्द उन्हें गायन में स्थायी करियर नहीं बन पायी, परंतु 1949 में ही लता को मौका फ़िल्म ‘महल’ के मशहूर गीत ‘आयेगा आनेवाला’ गीत से मिल सकी, जो कि उस समय की खूबसूरत अदाकारा मधुबाला पर फ़िल्मायी गयी थी और हिंदी गायन में आखिरकार खूँटा गाड़ ही दी। वहीं इसी वर्ष ‘बरसात’ फ़िल्म का गीत ‘जिया बेकरार है, छायी बहार है; आजा मोरे बालमा तेरा इंतजार है’ तो सुपरडुपर हिट रही, फिर तब से लेकर 2021 में भी उन्होंने अपना गाये गीत रिकॉर्ड कराई हैं। वे स्टेज शो भी की हैं। गणतंत्र दिवस समारोह 1963 में कवि प्रदीप रचित गीत ‘ए मेरे वतन के लोगों जरा आँख में भर लो पानी’ को दिल्ली में गाकर और प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू सहित कई के आँखों में आँसू भर देनेवाली लता जी तब से किसी की मोहताज नहीं रही। कवि प्रदीप के गीत पर अमरत्व पानेवाली लता दीदी की मृत्यु प्रदीप के जन्मदिवस (6 फरवरी) पर हो गयी। इतना ही नहीं, सरस्वती पुत्री की मृत्यु देवी सरस्वती के विसर्जन के दिन हुई। भारतीय हिंदी सिनेमा ने उन्हें सर्वोच्च समान ‘दादा साहब फाल्के पुरस्कार’ प्रदान की, तो भारत सरकार ने ‘भारतरत्न’ प्रदान कर उन्हें जीवित किंवदंती बना दिए। फ्रांस ने अपना सर्वोच्च सम्मान से नवाजे। कहते हैं, वे ‘नोबेल पुरस्कार’ के लिए नॉमिनेट भी हुई थीं। स्वरकोकिला और नाइटिंगल ऑफ इंडिया थी नहीं, हैं वो ! उनकी जीवितावस्था में ही मध्यप्रदेश सरकार ने लता मंगेशकर पुरस्कार प्रदान करना शुरू किए। लता मंगेशकर ने आनंद घन बैनर तले फ़िल्मो का निर्माण भी किया और संगीत भी दिया। वैसे शुरुआत में वे ‘आनंदघन’ छद्मनाम से गायन करती थी, संगीत देती थी व गीत भी रचती थी। वे हमेशा नंगे पाँव गाना गाती थीं।

कहते हैं, जब वे स्कूल गयी तो नन्हीं आशा को भी साथ ले गयी थी, तब शिक्षकों ने काफी डाँटे थे और फिर वे कभी स्कूल नहीं गयी। दीनानाथ जी  की दूसरी पत्नी शेवन्ती देवी से ही सभी संतानें हैं। उनकी पहली पत्नी नर्मदा निःसंतान ही मृत्यु को प्राप्त हुई थी। शेवन्ती देवी दीनानाथ मंगेशकर की साली थी, जिनसे वे 1927 में विवाहित हुए। पिता की मृत्यु के 3 साल तक लता मंगेशकर का परिवार इंदौर ही रहा। पहली संतान लता का नाम पिता दीनानाथ में अपने नाटक की एक नायिका लतिका को लेकर रखा था, किन्तु बचपन में नाम हृदया, फिर हेमा हरिंदकर है। मूलत: गोवा के मंगेशी गाँव के निवासी होने के कारण उपनाम हरिंदकर से बदलकर ‘मंगेशकर’ कर लिया गया। महाराज और क्रिकेटर, फिर बीसीसीआई के अध्यक्ष रहे राजसिंह डूंगरपुर लता जी के अनुज हृदयनाथ के संगी-साथी थे और लता के घर उनका आना-जाना होता था। कहते हैं, लता और राजसिंह में प्लेटोनिक प्रेम-संबंध थे, किन्तु महाराज के परिजन दोनों की शादी को राजी नहीं हुए। वैसे दोनों ताउम्र कुँवारे रहे। कथा जो भी हो, पर लता दी की अमरत्व को कोई चुनौती नहीं दे सकता है, न ही कई युगों में भी ‘लता’ के सदृश्य होना संभव है। वैश्विक संगीतकार यहूदी मेनुहिन ने लता दीदी के प्रति कितना स्पष्ट कहा है- ‘काश ! मेरी वायलिन आपकी गायिकी की तरह बज सके।’
दीदी को सादर श्रद्धांजलि।

डॉ. सदानंद पॉल

एम.ए. (त्रय), नेट उत्तीर्ण (यूजीसी), जे.आर.एफ. (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार), विद्यावाचस्पति (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर), अमेरिकन मैथमेटिकल सोसाइटी के प्रशंसित पत्र प्राप्तकर्त्ता. गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स होल्डर, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, RHR-UK, तेलुगु बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, बिहार बुक ऑफ रिकॉर्ड्स इत्यादि में वर्ल्ड/नेशनल 300+ रिकॉर्ड्स दर्ज. राष्ट्रपति के प्रसंगश: 'नेशनल अवार्ड' प्राप्तकर्त्ता. पुस्तक- गणित डायरी, पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद, लव इन डार्विन सहित 12,000+ रचनाएँ और संपादक के नाम पत्र प्रकाशित. गणित पहेली- सदानंदकु सुडोकु, अटकू, KP10, अभाज्य संख्याओं के सटीक सूत्र इत्यादि के अन्वेषक, भारत के सबसे युवा समाचार पत्र संपादक. 500+ सरकारी स्तर की परीक्षाओं में अर्हताधारक, पद्म अवार्ड के लिए सर्वाधिक बार नामांकित. कई जनजागरूकता मुहिम में भागीदारी.