कविता

कहानी

 

कहानियों के किरदार
सभी मेरा-तेरा करते हैं
हम हैं दरबान इधर में
क्या किसी से डरते हैं?

रोज-रोज की उठापटक में
सुझावों का कलेश हुआ
नाम की खातिर देखो अब
भाई-भाई में द्वेष हुआ

अंहकार की कीमत होगी
मौन का अपना मान
सांसों के बदले सपने
निकल न जायें प्राण

अपना महत्व क्या बतलाना!
मन नि:स्वार्थ है हर पल में
पीड़ा ही परिचायक है मेरी
जब जलना है पूरा जल में

हक की बात बहुत पुरानी
मेरी औकात है मुट्ठी भर
पत्थरों के दिल नहीं होते
ऊपरवाले से तो थोड़ा डर

मन की दशा बतायें किसको
शब्दों की आह किसको कहें
आखिर तक कोशिश ज़ारी है
ये कहानी अधूरी बिल्कुल ना रहे

प्रवीण माटी

प्रवीण माटी

नाम -प्रवीण माटी गाँव- नौरंगाबाद डाकघर-बामला,भिवानी 127021 हरियाणा मकान नं-100 9873845733