गीत/नवगीत

 हम प्यार तुम्हें करते कितना?

हम प्यार तुम्हें करते कितना?
समझा नहीं या समझ न पाए?
तुमने भले ही हो भरमाया?
हमने तुम्हारे गाने गाए।

प्यार तुम्हारा भले हो सौदा?
हमने समझा उसे घरौंदा।
तुम्हारी यादों में जीते हम,
तुमने भले ही प्यार को रौंदा।

तुम्हारी खुशियों से खुश होते।
मुस्काकर भी हम अब रोते।
आवाज तुम्हारी सुनने को हम,
पल पल तड़पें विचलित होते।

तुमसे वफा की चाह नहीं है।
ठुकराओ भले! आह नहीं है!
पल पल जीते यादों में हम,
तुमको कोई परवाह नहीं है।

हमने तुमसे कब कुछ चाहा?
केवल प्रेम से था अवगाहा।
तुम्हारी खुशियों की खातिर ही,
लुटकर भी करते हम आहा!

तुमने कहा, वही था माना।
तुमसे हटकर कुछ ना जाना।
विश्वास पर घात किया है,
अब भी बहाने करती नाना।

प्रेम तुम्हारी चाह  नहीं है।
धोखा हमरी आह नहीं है।
दिल तो सौंप दिया था तुमको,
तुम्हारी कोई थाह  नहीं है।

हमने तुमको प्यार किया था।
तुम्हारे प्रेमी को भी जिया था।
तुम थीं, खुद को धोखा देतीं,
हमने तुम्हारा क्रोध पिया था।

हम तो तुम्हें भुला नहीं पाए।
नित ही तुमरे गाने गाए।
तुमने ठोकर भले ही मारी,
ठोकर से भी हम हरषाए।

डॉ. संतोष गौड़ राष्ट्रप्रेमी

जवाहर नवोदय विद्यालय, मुरादाबाद , में प्राचार्य के रूप में कार्यरत। दस पुस्तकें प्रकाशित। rashtrapremi.com, www.rashtrapremi.in मेरी ई-बुक चिंता छोड़ो-सुख से नाता जोड़ो शिक्षक बनें-जग गढ़ें(करियर केन्द्रित मार्गदर्शिका) आधुनिक संदर्भ में(निबन्ध संग्रह) पापा, मैं तुम्हारे पास आऊंगा प्रेरणा से पराजिता तक(कहानी संग्रह) सफ़लता का राज़ समय की एजेंसी दोहा सहस्रावली(1111 दोहे) बता देंगे जमाने को(काव्य संग्रह) मौत से जिजीविषा तक(काव्य संग्रह) समर्पण(काव्य संग्रह)