कविता

प्यारी दादी

लुटाती प्रेम बच्चों पर, सभी मन मोह लेती है।
हमारे साथ रहती है, सदा आशीष देती है।।
नहीं वो भेद को जाने, गले सब को लगाती है।
कभी वो बैठ छाया में, कहानी भी सुनाती है।।

खिलाती है हमें भोजन, खुशी से झूम जाती है।
भरे वो पेट बच्चों का, हृदय को शांत पाती है।।
जरा सी चोट लग जाये, उठा सीने लगाती है।
रुदन करते कभी हम तो, सदा तौफा दिलाती है।।

हमारे प्रेम पाने को, नयन को चूम लेती है।
कहूँ दादी हमारी वो, हमें वो प्यार देती है।।
करे वो ज्ञान की बातें, हमें बढ़ना सिखाती है।
बढ़े आगे कभी हम तो, सही राहें दिखाती है।।

— प्रिया देवांगन “प्रियू”

प्रिया देवांगन "प्रियू"

पंडरिया जिला - कबीरधाम छत्तीसगढ़ Priyadewangan1997@gmail.com