कविता

हास्य -मेरी प्यारी तोंद

 

यह अच्छी बात नहीं है
कि आप सब मेरा नहीं
मेरी तोंद का इतना मजाक बनाते हो
अरे बेशर्मों!तनिक नहीं शर्माते हो।
अब इसमें मेरा क्या कसूर है
जो मेरी तोंद आपको लगती तरबूज है,
आपको मेरी मेहनत नजर नहीं आती
मेरी तोंद आपको फूटी आंख नहीं सुहाती।
कोई बात नहीं मेरी तोंद मेरी अपनी है
मेरी बीवी को ये लगती उसकी सौतन है,
पर मुझे बड़ी प्यारी लगती है,
मेरी गुलबहार,गुलबदन सी है।
जब तक मेरी तोंद नहीं थी
मेरी तो कोई पहचान ही नहीं थी
शरीर में जैसे जान ही नहीं थी।
अब अपना भी एक स्टैंडर्ड है
बड़े लोगों के बीच अपना भी
बहुत उठना बैठना हो गया है,
बिना माँगे सम्मान मिलने लगा है।
मुझे नाम से भले लोग नहीं जानते
पर आज तोंद वाले छोटू का
बहुत बड़ा नाम हो गया है।
राज की बात बताता हूं सुनो
लोगों में मुझे बुलाने का होड़ बढ़ रहा है,
क्योंकि आमजन में मेरा भाव
अब आसमान छू रहा है।
मेरी तोंद को यूं न घूरो भाई
वरना परेशान हो जाओगे,
मानहानि का केस कर दूंगा
तो पाँच करोड़ कहां से लाओगे?
तब फिर से मेरी तोंद को ही
आखिर गरियाओगे, हल तो नहीं पाओगे
फिर भी बहुत पछताओगे।

 

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921