इतिहास

प्रधानमंत्री संग्रहालय में भारत की गाथा

वैश्विक स्तरपर भारत दुनियां का सबसे बड़ा मजबूत लोकतंत्र है। 15 अगस्त 1947 को भारत की आजादी से लेकर आज तक लोकतांत्रिक पर्व के आयोजन में जनता अपने प्रतिनिधियों का चुनाव अपनी वोट की ताकत से करती आई है, जो प्रधानमंत्री को चुनते हैं इसी पारदर्शिता प्रथा के तहत भारत में आज तक 15 प्रधानमंत्रियों का चुनाव हुआ है।
साथियों इन प्रधानमंत्रियों के जीवन से जुड़ी हर जानकारी, पत्राचार, सम्मान से लेकर उनके जीवन की अनसुनी गाथाओं को लोकतंत्र में युवाओं सहित सभी को प्रेरणा देने, स्वतंत्रता के बाद सभी प्रधानमंत्रियों के जीवन और स्वतंत्रता के बाद राष्ट्र निर्माण की दिशा में सभी प्रधानमंत्रियों द्वारा दिए गए योगदान को सम्मान देने के लिए यह आवश्यक हो गया था कि उनसे जुड़ी दुर्लभ वस्तुओं बातों, जानकारियों को आम जनता जान सके और उनसे प्रेरणा लेकर अपने हृदय में राष्ट्रप्रेम का और अधिक गहराई से के साथ समा सके जिसके लिए, दिल्ली के नहरू स्मारक म्यूजियम में प्रधानमंत्री संग्रहालय तैयार हुआ अब तक के प्रधानमंत्रियों के जीवन दर्शन का संग्रहालय का पीएम ने उद्घाटन किया। उद्घाटन के साथ ही उन्होंने इस संग्रहाल का पहला टिकट खरीदा और अंदर प्रवेश किया। ये संग्रहालय दिल्ली में नेहरू स्मारक म्यूजियम और लाइब्रेरी परिसर में बनाया गया है। जिस तीन मूर्ति भवन की पहचान अब तक नेहरू मेमोरियल म्यूजियम से थी, वो आज के बाद प्रधानमंत्री संग्रहालय के तौर पर जाना जाएगा। इस संग्रहालय में देश के पहले पीएम पंडित जवाहर लाल नेहरू से लेकर मौजूदा पीएम नरेंद्र मोदी तक सभी प्रधानमंत्रियों के जीवन दर्शन को विस्तार से संग्रहित किया गया है।
साथियों बात अगर हम संग्रहालय से जुड़ी जानकारी जुटाने की करें तो इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और पीआईबी के अनुसार,इस सेंटर के लिए प्रधानमंत्रियों से जुड़ी जानकारी दूरदर्शन, फिल्म डिवीजन, संसद टीवी, रक्षा मंत्रालय, मीडिया हाउस (भारतीय और विदेशी), प्रिंट मीडिया, विदेशी समाचार एजेंसियों, विदेश मंत्रालय के तोशाखाना आदि संस्थानों से जुटाई गई है. यही नहीं पूर्व पीएम के बारे में बहुमूल्य जानकारी जुटाने के लिए उनके परिवारों से भी संपर्क किया गया था. प्रधान मंत्री।सामग्री ज्यादातर मामलों में स्थायी लाइसेंस पर हासिल की गई हैं। अभिलेखागार (एकत्रित कार्य और अन्य साहित्यिक कार्य, महत्वपूर्ण पत्राचार), कुछ व्यक्तिगत वस्तुओं, उपहार और यादगार वस्तुओं का उचित उपयोग (सम्मान, सम्मान, पदक प्रदान किए गए, स्मारक टिकट, सिक्के, आदि), प्रधान मंत्री के भाषण और विचारधाराओं का वास्तविक प्रतिनिधित्व और विभिन्न प्रधानमंत्रियों के जीवन के पहलुओं को विषयगत प्रारूप में प्रतिबिंबित किया गया है।
साथियों बात अगर हम इस संग्रहालय के दिनांक 14 अप्रैल 2022 को पीएम द्वारा उद्घाटन समारोह में संबोधन की करें तो पीआईबी के अनुसार उन्होंने कहा, देश के हर प्रधानमंत्री ने अपने समय की अलग-अलग चुनौतियों को पार करते हुए देश को आगे ले जाने की कोशिश की है। सबके व्यक्तित्व, कृतित्व, नेतृत्व के अलग-अलग आयाम रहे। ये सब लोक स्मृति की चीजें हैं। देश की जनता, विशेषकर युवा वर्ग, भावी पीढ़ी सभी प्रधानमंत्रियों के बारे में जानेगी, तो उन्हें प्रेरणा मिलेगी। इतिहास और वर्तमान से भविष्य के निर्माण की राह पर राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर जी ने कभी लिखा था- प्रियदर्शन इतिहास कंठ में, आज ध्वनित हो काव्य बने। वर्तमान की चित्रपटी पर, भूतकाल सम्भाव्य बने।
इस संग्रहालय में जितना अतीत है, उतना ही भविष्य भी है। यह संग्रहालय, देश के लोगों को बीते समय की यात्रा करवाते हुए नई दिशा, नए रूप में भारत की विकास यात्रा पर ले जाएगा। एक ऐसी यात्रा जहां पर आप एक नए भारत के सपने को प्रगति के पथ पर आगे बढ़ते हुए निकट से देख सकेंगे। इस बिल्डिंग में 40 से अधिक गैलरियां हैं और लगभग 4 हज़ार लोगों के एक साथ भ्रमण की व्यवस्था है।
हमें अपने युवा साथियों को इस म्यूजियम में आने के लिए अधिक से अधिक प्रोत्साहित करना चाहिए। ये म्यूजियम उनके अनुभवों को और विस्तार देगा। हमारे युवा सक्षम हैं, और उनमें देश को नई ऊंचाइयों तक ले जाने की क्षमता है। वे अपने देश के बारे में,स्वतंत्र भारत के महत्वपूर्ण अवसरों के बारे में जितना अधिक जानेंगे, समझगें, उतना ही वो सटीक फैसले लेने में सक्षम भी बनेंगे। ये संग्रहालय, आने वाली पीढ़ियों के लिए ज्ञान का, विचार का, अनुभवों का एक द्वार खोलने का काम करेगा। यहां आकर उन्हें जो जानकारी मिलेगी, जिन तथ्यों से वो परिचित होंगे, वो उन्हें भविष्य के निर्णय लेने में मदद करेगी। इतिहास के जो विद्यार्थी रिसर्च करना चाहते हैं, उन्हें भी यहां आकर बहुत लाभ होगा।
प्रधानमंत्री संग्रहालय में आने वाले लोगों को लोकतंत्र की इस ताकत के भी दर्शन होंगे। विचारों को लेकर सहमति-असहमति हो सकती है, अलग-अलग राजनीतिक धाराएं हो सकती हैं लेकिन लोकतंत्र में सबका ध्येय एक ही होता है- देश का विकास। इसलिए ये म्यूजियम सिर्फ प्रधानमंत्रियों की उपलब्धियों, उनके योगदान तक ही सीमित नहीं है। ये हर विषम परिस्थितियों के बावजूद देश में गहरे होते लोकतंत्र, हमारी संस्कृति में हज़ारों वर्षों से फले-फूले लोकतांत्रिक संस्कारों की मज़बूती और संविधान के प्रति सशक्त होती आस्था का भी प्रतीक है।
अपनी विरासत को सहेजना, उसे भावी पीढ़ी तक पहुंचाना प्रत्येक राष्ट्र का दायित्व होता है। अपने स्वतंत्रता आंदोलन, अपने सांस्कृतिक वैभव के तमाम प्रेरक प्रसंगों और प्रेरक व्यक्तित्वों को सामने, जनता जनार्दन के सामने लाने के लिए हमारी सरकार निरंतर काम कर रही है।
अतःअगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि भारत की गाथा का वर्णन, प्रधानमंत्री संग्रहालय स्वतंत्रता के बाद सभी प्रधानमंत्रियों के जीवन और योगदान पर लिखी भारत की गाथा प्रेरणादायक सिद्ध होगी। राष्ट्र निर्माण की दिशा में भारत के सभी प्रधानमंत्रियों के योगदान को सम्मान देने के लिए संग्रहालय की संकल्पना का साकार होना गौरवविंत उपलब्धि है।
— किशन सनमुखदास भावनानी

*किशन भावनानी

कर विशेषज्ञ एड., गोंदिया